Unseen Passage for Class 11 Hindi Apathit Gadyansh Solved

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Class 11 Hindi Apathit Gadyansh Unseen Passage

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Apathit Gadyansh for Class 11

अपठित गद्यांश 

पेशे से एक बैरिस्टर लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल, अपने आस-पास के आम लोगों की हालत से दुखी थे। वे ब्रिटिश सरकार के कानूनों और अत्याचारों के खिलाफ थे। वे स्वतंत्रता संग्राम में डाले गए सिस्टम को बदलने के लिए एक मजबूत आग्रह के साथ काम करना चाहते थे।

सरदार पटेल ने अपने पूरे जीवन में प्रमुखता के विभिन्न पदों पर कार्य किया। आइए इन पर एक नज़र डालते हैं-

• उन्होंने जनवरी 1917 में अहमदाबाद नगर पालिका के काउंसिलर की सीट के लिए चुनाव लड़ा और वे उस पद के लिए चुन भी लिये गए जबकि वे उस समय शहर में बैरिस्टर के रूप में काम कर रहे थे।

• उनके कामकाजी तरीके की सराहना की गई और उन्हें 1924 में अहमदाबाद नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया।

• वर्ष 1931 में कराची सत्र के लिए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

• वह आजादी के बाद भारत के पहले उप प्रधान मंत्री बने।

• उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 15 दिसंबर 1950 तक गृह मंत्रालय के पद को संभाला।

• उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 15 दिसंबर 1950 तक भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ के पद को भी संभाला।

दुर्भाग्यवश, सरदार पटेल जी तथा अहमदाबाद नगर पालिका के 18 अन्य काउंसिलर्स पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। वर्ष 1922 में उनके खिलाफ धन की गलतफहमी का मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने एडीसी में मामला जीता हालांकि उन्हें जल्द ही बॉम्बे हाईकोर्ट में बुलाया गया। ये मोहम्मद जिन्ना थे जो उस समय पटेल की मदद करने के लिए आगे आए थे। उन्होंने इस मामले में पटेल की रक्षा करने के लिए वकीलों के एक पैनल का नेतृत्व किया और वे जीत भी गए।

सरदार वल्लभ भाई पटेल जी करियर उन्मुख थे। उन्होंने न केवल वकील बनने के लिए कानून की डिग्री प्राप्त की बल्कि और अधिक ऊंचाई तक पहुचने के लिए इच्छुक थे। वे बैरिस्टर बनने के लिए लंदन में एक प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लेने के लिए आगे बढ़े। वे धन कमाकर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे और वे इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने आप को प्रेरित करते रहे। हालांकि, वर्ष 1917 में महात्मा गांधी जी से मिलने के बाद उनकी दृष्टि बदल गई। वह गांधीवादी विचारधाराओं से बहुत प्रभावित हुए और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने महात्मा गांधी जी को अपने बड़े भाई के रूप में माना और हर कदम पर उनका समर्थन किया।

इसके बाद से, वे महात्मा गांधीजी के नेतृत्व में सभी आंदोलनों का हिस्सा बनते गए और उनके समर्थन के साथ विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत की। उन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया। उन्होंने आंदोलन में भाग लेने के लिए जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और राजागोपालाचारी जैसे अन्य कांग्रेस हाई कमांड नेताओं से भी आग्रह किया।

वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पद के लिए एक मजबूत दावेदार थे। हालांकि, गांधीजी के अनुरोध पर उन्होंने जवाहर लाल नेहरू जी को पद देने के लिए अपनी उम्मीदवारी छोड़ दी। हालांकि, पटेल जी प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालने के तरीके से कभी खुश नहीं थे। ऐसा कहा जाता है कि गांधीजी की हत्या वाले दिन पटेल जी ने शाम को उनसे मुलाकात की, वे नेहरू जी के चर्चा करने के तरीकों से असंतुष्ट थे इसीलिए वे गांधीजी के पास गए थे। उन्होंने गांधीजी को यह भी कहां कि यदि नेहरू जी ने अपने तरीकों को नहीं सुधारा तो वह उप प्रधानमंत्री के रूप में पद से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, गांधीजी ने पटेल को आश्वासित किया और उनसे वादा करने के लिए कहा कि वह ऐसा कोई निर्णय नहीं लेंगे। यह उनकी आखिरी बैठक थी और पटेल जी ने गांधीजी को दिए गए वादे का मान रखा।

सरदार पटेल जी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए भारत के लोगों को एकजुट करने के लिए कड़ी मेहनत की। वे लोगों को एक साथ लाने और उन्हें एक लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए जाने जाते थे। उनके नेतृत्व के गुणों की सराहना सभी ने की थी। 31 अक्टूबर उनके जन्मदिन के अवसर पर इस दिशा में उनके प्रयास को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में घोषणा करके सम्मानित किया गया था।

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) सरदार पटेल जी को प्राप्त प्रमुख पदों के बारे में लिखिए?

(ग) सरदार पटेल के खिलाफ किस जुर्म का आरोप लगा तथा इसका परिणाम क्या रहा?

(घ) सरदार पटेल की जिंदगी में गाँधी जी की क्या भूमिका रही?

(ड़) 'प्रधानमंत्री' शब्द का समास विग्रह कीजिये समास का नाम लिख परिभाषित कीजिये |

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लोह पुरुष -सरदार वल्लभ भाई पटेल है|

(ख) उन्होंने जनवरी 1917 में अहमदाबाद नगर पालिका के काउंसिलर की सीट के लिए चुनाव लड़ा और वे उस पद के लिए चुन भी लिये गए जबकि वे उस समय शहर में बैरिस्टर के रूप में काम कर रहे थे।

उनके कामकाजी तरीके की सराहना की गई और उन्हें 1924 में अहमदाबाद नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया।

वर्ष 1931 में कराची सत्र के लिए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

वह आजादी के बाद भारत के पहले उप प्रधान मंत्री बने।

उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 15 दिसंबर 1950 तक गृह मंत्रालय के पद को संभाला।

उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 15 दिसंबर 1950 तक भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ के पद को भी संभाला। 

(ग) सरदार पटेल जी तथा अहमदाबाद नगर पालिका के 18 अन्य काउंसिलर्स पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। वर्ष 1922 में उनके खिलाफ धन की गलतफहमी का मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने एडीसी में मामला जीता हालांकि उन्हें जल्द ही बॉम्बे हाईकोर्ट में बुलाया गया। ये मोहम्मद जिन्ना थे जो उस समय पटेल की मदद करने के लिए आगे आए थे। उन्होंने इस मामले में पटेल की रक्षा करने के लिए वकीलों के एक पैनल का नेतृत्व किया और वे जीत भी गए। 

(घ) सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन में गाँधी जी की अहम भूमिका रही | महात्मा गांधीजी के नेतृत्व में सभी आंदोलनों का हिस्सा बनते गए और उनके समर्थन के साथ विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत की। गांधीजी के अनुरोध पर ही उन्होंने जवाहर लाल नेहरू जी को प्रधानमंत्री पद देने के लिए अपनी उम्मीदवारी छोड़ दी। हालांकि, पटेल जी प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालने के तरीके से कभी खुश नहीं थे।

(ड़) प्रधानमंत्री - मंत्रियो में प्रधान है जो (प्रधानमंत्री) भेद- बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास - समास में आये पदों को छोड़कर जब किसी अन्य पदार्थ की प्रधानता हो, तब उसे बहुव्रीहि समास कहते है।

 

Apathit Gadyansh with multiple choice questions for Class 11

अपठित गद्यांश 

शांति नहीं तब तक, जब तक

                सुख - भाग न नर का सम हो,

नहीं किसी को बहुत अधिक हो,

               नहीं किसी को कम हो|

ऐसी शांति राज्य करती है

              तन पर नहीं, ह्रदय पर,

नर के ऊंचे विश्वासों पर

              श्रद्धा, भक्ति, प्रणय पर |

न्याय शांति का प्रथम न्यास है

              जब तक न्याय न आता |

जैसा भी हो महल शांति का |

              सुदृढ़ नहीं रह पता |

कृत्रिम शांति शशंक आप

             अपने से ही डरती है,

खड्ग छोड़ विश्वास किसी का

            कभी नहीं करती है |

और जिन्हे इस शांति - व्यवस्था

           में सुख - भोग सुलभ है,

उनके लिए शांति ही जीवन,

           सार, सिद्धि दुर्लभ है |

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) सामाजिक जीवन में अशांति का क्या कारण बताया गया है ?

(ख) कृत्रिम शांति से क्या हानि संभव है ?

(ग) प्रस्तुत काव्यांश से क्या प्रेरणादायी सन्देश दिया गया है ?

(घ) कवि किस प्रकार की शांति को महत्वपूर्ण मानता है ?

(ड़) देश - समाज में शांति - स्थापना का प्रथम न्यास किसे बताया गया है ?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

() सामाजिक जीवन में आर्थिक विषमता के कारण सभी को सुख - भोग का समान अवसर न मिलना तथा न्याय का व्यवहार न होना अशन्ति का मूल कारण बताया गया है |

() कृत्रिम शांति स्थापना से वह शांति स्थायी नहीं रहती है,  क्योंकि उसमे आशंका, भय एवं विद्वेष बना रहता है, उसमे विश्वास की कमी रहती है | ऐसी शांति से यह हानि होती है की समाज का वातावरण खुश हाल नहीं रहता है |

() प्रस्तुत कविता में यह सन्देश दिया गया है की मानव समज के समक्ष युद्ध और शांति की जो चिर समस्या है, उसका समाधान समता, न्याय एवं परस्पर विश्वास रखने से ही हो सकता है| हमे समाज एवं राष्ट्र में शांति स्थापना के लिए समता एवं न्याय का पक्ष - पोषण करना चाहिए|

() कवि समाज में शांति - व्यवस्था को पसंद करता है| शांति दो प्रकार से स्थापित होती है | एक तो तलवार या शक्ति के बल पर स्थापित की जाती है और दूसरी समाज में आर्थिक समानता लाकर स्थापित की जा सकती है| कवि समाज में न्याय और आर्थिक समानता लाकर स्थापित की जाने वाली शांति के पक्षधर है|

() देश - समाज में शांति - स्थापना का प्रथम न्याय सभी को समतामूलक न्याय मिलना बताया गया है, अर्थात समाज में सभी को न्याय मिलने से ही शन्ति स्थपित हो सकती है|

Apathit Gadyansh for Class 11 with answers pdf

 

अपठित गद्यांश 

प्रभु ने तुमको कर दान किये,

सब वांछित वस्तु विधान किये |

 

तुम प्राप्त करो उनको न अहो,

फिर है किसका वह दोष कहो?

 

समझो न अलभ्य किसी धन को,

नर हो न निराश करो मन को |

 

किस गौरव के तुम योग्य नहीं,

कब कौन तुम्हे सुख भोग्य नहीं?

 

जन हो तुम भी जगदीश्वर के,

सब है जिसके अपने घर के|

 

फिर दुर्लभ क्या उसके मन को?

नर हो, न निराश करो मन को |

 

करके विधि - वाद न खेद करो,

निज लक्ष्य निरंतर भेद करो |

 

बनता बस उद्धम ही विधि है,

मिलती जिससे सुख की निधि है |

 

समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को,

नर हो, न निराशा करो मन को |

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) वांछित वस्तुओं को प्राप्त न क्र सकने में किसका दोष है और क्यों ?

(ख) विधि - वाद का खेद कौन व्यक्त करते है ?

(ग) इस काव्यांश से क्या प्रेरणा दी गयी है ?

(घ) काव्यांश से कवि के कौनसे विचारों का परिचय मिलता है ?

(ड़) उन पंक्तियों को पहचानिए जिनसे पता चलता है कि कवि आस्तिक है, ईश्वर को मानता है|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) ईश्वर ने इस धरती पर अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया है और उन सभी वस्तुओं का उपभोग करने के लिए मनुष्य को दो हाथ दिए है| अतएव अपने हाथों का उचित उपयोग करके मनुष्य वांछित वस्तुओं का प्राप्त कर सकता है | यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो दोष उसी का है; क्योंकि उचित कर्म और श्रम न करने का दोष मनुष्य का ही है|

(ख) इस संसार में कुछ लोग उचित परिश्रम नहीं करते है और छोटी - छोटी बात पर भी कहते रहते है कि यह सब भाग्य का खेल है, अर्थात भाग्यवादी बनकर निराश हो जाते है | इस कारण वे लक्ष्य को प्राप्त करने का उचित प्रयास भी नहीं करते है | ऐसे लोग ही विधि - वाद का खेद व्यक्त करते है |

(ग) इस काव्यांश से कवि ने सभी मनुष्यों को अथवा सभी भारतीयों को यह प्रेरणा दी है कि वे निराश न हो, लक्ष्य प्राप्ति का उचित प्रयास करें| इसलिए वे कर्मनिष्ठ एवं साहसी बने तथा सभी प्राणियों में श्रेष्ठ प्राणी होने के नाते जीवन - मार्ग पर सफलता से बढ़ते जावे | वे कुछ न कुछ काम करते रहे|

(घ) काव्यांश को पढ़कर कवि के विचारों के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है| इस काव्यांश से ज्ञान होता है कि कवि मानव को भाग्य को कोसते रहने कि अपेक्षा परिश्रम करके जीवन को उन्नत और सुखमय बनाने कि प्रेरणा देना चाहता है| कवि मानवीय संवेदना एवं आद्यात्मिक दृटिकोण रखता है और परहित को धर्म मानता है| वह कार्य पर विश्वास करने वाला एवं भाग्य भरोसे रहने वाला नहीं है|

(ड़) कवि परिश्रम को महत्वपूर्ण मानता है और ईश्वर के प्रति भी आस्था रखता है वह ईश्वर को मनाता है इस कि द्योतक पंक्तियाँ ये है-

जन हो तुम भी जगदीश्वर के,

सब है जिसके अपने घर के|

Apathit Gadyansh for Class 11 with answers

 

अपठित गद्यांश

छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये

मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाये,

दो बार नही यमराज कंठ धरता है,

मरता है जो, एक ही बार मरता है |

 

तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे |

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे ||

 

उपशम को ही जाति धर्म करती है,

शम, दम, विराग को श्रेष्ठ कर्म कहती है,

धृति को प्रहार, शांति को वर्म कहती है,

अक्रोध, विनय को विजय मर्म कहती है,

 

अपमान कौन, वह जिसको नहीं सहेगी?

सबको असीम सबका बन दास कहेगी ||

 

दो उन्हें राम, तो मात्र नाम वे लेंगी,

विक्रमी शरासन से न काम वे लेंगी,

नवनीत बना देती भट अवतारी को,

मोहन मुरलीधर पांचजन्य - धारी को|

 

पावक को बुझा तुषार बना देती है,

गाँधी को शीतल श्रर बना देती है |

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए- 

(क) प्रस्तुत कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

(ख) इस संसार में किस व्यक्ति को अपमान सहना पड़ता है?

(ग) कवि किस बात पर अंडे रहने के लिए कहता है?

(घ) कवि ने क्या अपनानें कि बात कही है?

(ड़) 'नवनीत बना देती बात अवतारी को - ऐसा किसके लिए और क्यों कहाँ गया है?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) प्रस्तुत कविता का केंद्रीय भाव यह है कि पराक्रम, पुरुषार्थ एवं सक्रियता अपनाये बिना केवल विनय एवं अहिंसा से राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता | इसलिए सदा जागृति रखने को जरुरत है | 

(ख) जो व्यक्ति आन- बान की चिंता न करके चुपचाप अन्याय सहता है, केवल शांति को ही श्रेष्ठ कर्तव्य मानता है तथा पुरुषार्थ नहीं दिखाता है, ऐसे व्यक्ति को अपमान सहना पड़ता है |

(ग) कवि कहता है कि अन्याय पर भी मत झुको और हर हालत में न्यायपूर्ण बात पर अंडे रहो |

(घ) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने अहिंसा, सहनशीलता और भीरुता को छोड़कर वीरता, ओजस्विता तथा निर्भयता अपनाने की बात कही है |

 

(ड़) ऐसा कोरी अहिंसावादी नीति के लिए कहा गया है | अहिंसा से भले ही बड़े - से बड़े पराक्रमी को कोमल-ह्रदय बनाया जा सकता है, परन्तु इससे अन्याय उत्पीड़न को रोका नहीं जा सकता |

Apathit Gadyansh for Class 11 with questions and answers

 

अपठित गद्यांश 

मैं नहीं चाहता चिर सुख,

मैं नहीं चाहता चिर दुःख,

सुख - दुःख की आँख मिचौनी में,

खोले जीवन अपना मुख,

 

सुख दुःख के मधुर मिलन से,

यह जीवन हो परिपूर्ण,

फिर घन में ओझल हो शशि,

फिर राशि में ओझल हो घन |

 

जग पंडित है अति सुख से,

जग पंडित है अति दुःख से,

मानव जग में बँट जावे,

दुःख सुख से औ सुख दुःख से|

 

अविरल दुःख है उत्पीड़न,

अविरल सुख भी उत्पीड़न,

दुःख - सुख की दिवा - निशा में,

सोता जगता जग - जीवन |

 

यह साँझ - उषा का आँगन,

आलिंगन विरह मिलन का,

चिर हास अश्रुमय आनन,

रे इस मानव का जीवन |

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) जग सुख और दुःख दोनों से पीड़ित क्यों है?

(ख) कवि ने सुख- दुःख को लेकर क्या कामना की है?

(ग) संसार किसमे पीड़ा का अनुभव करता है?

(घ) प्रस्तुत कविता में क्या सन्देश व्यक्त हुआ है?

(ड़) प्रस्तुत कविता में कौन सा काव्य गुण है?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) प्रत्येक बात की अति अरुचिकर होती है| जग में अति सुख से जहां उत्पीड़न होता है, वही अति दुःख से भी कष्ट मिलता है| इन दोनों में नियत क्रम बना रहे, यही उचित है |

(ख) कवि ने सुख - दुःख को लेकर कामना की है कि जीवन में इन दोनों को समान रूप में सब में बाँट दिया जावे, जिससे हास और रुदन का अनुभव सभी को मिलता रहे तथा जीवन सहजता से भोगा जावे |

(ग) संसार अतिशय सुख में भी पीड़ा का अनुभव करता है और आतिशय दुःख में पीड़ा भोगता है |

(घ) प्रस्तुत कविता में यह सन्देश व्यक्त हुआ है कि जीवन में अधिक सुख मिलने पर अधिक उल्लसित और अधिक दुःख मिलने पर व्यथित नहीं होना चाहिए, दोनों स्थतियों में समान रहना चाहिए|

(ड़) प्रस्तुत कविता में प्रसाद गुण है, क्योंकि इसमें अर्थ - बोध सरलता से हो रहा है | सामासिक एवं किलष्ट पद नहीं है | इसमें पांचाली रीति है|

Apathit Gadyansh for Class 11 with questions and answers

अपठित गद्यांश 

भगत सिंह का जन्म 1907 में पंजाब के खटकर कलां गाँव (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है) में हुआ था। उनका परिवार भारत की पूरी स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल था। वास्तव में भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता राजनीतिक आंदोलन में उनकी भागीदारी की वजह से कारावास में थे। परिवार के माहौल से प्रेरित होकर तेरह वर्ष की छोटी सी उम्र में भगत सिंह स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है भगत सिंह का परिवार स्वतंत्रता संग्राम में गहन रूप से शामिल था। उनके पिता महात्मा गांधी का समर्थन करते थे और जब बाद में महात्मा गाँधी ने सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों का बहिष्कार करने के लिए कहा तो भगत सिंह के पिता ने भी उनको स्कूल छोड़ने के लिए कह दिया। वह 13 वर्ष की उम्र में स्कूल छोड़कर लाहौर के नेशनल कॉलेज में शामिल हो गए। वहां उन्होंने यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों के बारे में अध्ययन किया जिससे वे बेहद प्रेरित हुए।

भगत सिंह के परिवार ने पूरी तरह से गांधीवादी विचारधारा का समर्थन किया और खुद भगत सिंह भी महात्मा गाँधी की विचारों से सहमत थे लेकिन जल्द ही उनका गाँधी विचारधारा से मोहभंग हो गया। उन्हें लगा कि अहिंसक आंदोलन से उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा और सशस्त्र संघर्ष ही अंग्रेजों से लड़ने का एकमात्र तरीका है। उनकी किशोरावस्था के दौरान दो प्रमुख घटनाक्रम उनकी विचारधारा में बदलाव के लिए जिम्मेदार थे। ये 1919 में हुआ जलियांवाला बाग नरसंहार और 1921 में ननकाना साहिब में निहत्थे अकाली प्रदर्शनकारियों की हत्या थी।

चौरी चौरा घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने की घोषणा की। भगत सिंह के अनुरूप यह फ़ैसला सही नहीं था और इसके बाद उन्होंने गांधी के नेतृत्व में हो रहे अहिंसक आंदोलनों से दूरी बना ली। इसके बाद वे युवा क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हो गए और अंग्रेजों को बाहर निकालने के लिए हिंसा की वकालत करने लगे। उन्होंने कई तरह के क्रांतिकारी कृत्यों में भाग लिया और कई युवकों को इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

शहीद भगत सिंह के बारे में कुछ दिलचस्प और कम ज्ञात तथ्य इस प्रकार हैं:-

• भगत सिंह एक उत्साही पाठक थे और इस बात को महसूस करते थे कि युवाओं को प्रेरित करने के लिए कागजात और पत्रक वितरण के बजाए क्रांतिकारी लेख और किताबें लिखना आवश्यक था। उन्होंने कीर्ति किसान पार्टी की पत्रिका "कीर्ति" और कुछ समाचार पत्रों के लिए कई क्रांतिकारी लेख लिखे हैं।

• उनके प्रकाशनों में शामिल है मैं क्यों एक नास्तिक हूँ : एक आत्मकथात्मक व्याख्यान, एक राष्ट्र के विचार, जेल नोटबुक आदि। उनके कार्य आज भी प्रासंगिकता रखते हैं।

• उन्होंने अपना घर तब छोड़ दिया जब उनके माता-पिता ने उन्हें शादी करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने घर छोड़ने का कारण दिया कि यदि वे गुलाम भारत में शादी करते हैं तो उनकी दुल्हन ही मर जाएगी।

• यद्यपि वे सिख परिवार में पैदा हुए लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बाल और दाढ़ी को कटवा दिया ताकि वे ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या के लिए पहचाने न जा सके और गिरफ्तार न हो सकें।

• उन्होंने अपनी जांच के समय किसी भी बचाव की पेशकश नहीं की थी।

• उन्हें 24 मार्च 1931 को फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन उन्हें 23 मार्च को ही फांसी दे दी गई। ऐसा कहा जाता है कि कोई भी मजिस्ट्रेट उनकी फांसी पर निगरानी नहीं रखना चाहता था।

भगत सिंह सिर्फ 23 वर्ष के थे जब उन्होंने खुशी-ख़ुशी देश के लिए अपना बलिदान दे दिया। उनकी मृत्यु कई भारतीयों के लिए स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने के लिए एक प्रेरणा साबित हुई। उनके समर्थकों ने उन्हें शहीद शीर्षक दिया। वे सही अर्थों में शहीद थे।

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) भगत सिंह की शिक्षा कहाँ और किस प्रकार हुई?

(ग) भगत सिंह महात्मा गाँधी के विचारो से सहमत थे, परन्तु जल्द ही उनका मन गाँधी विचारधारा से भंग हो गया क्यों?

(घ) भगत सिंह एक उत्साही पाठक किस प्रकार थे?

(ड़) सिख परिवार का होने पर भी भगत सिंह ने अपने बाल व दाढ़ी क्यों कटवाई?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक ‘शहीद - भगत सिंह’ है|

(ख) भगत सिंह का परिवार स्वतंत्रता संग्राम में गहन रूप से शामिल था। उनके पिता महात्मा गांधी का समर्थन करते थे और जब बाद में महात्मा गाँधी ने सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों का बहिष्कार करने के लिए कहा तो भगत सिंह के पिता ने भी उनको स्कूल छोड़ने के लिए कह दिया। वह 13 वर्ष की उम्र में स्कूल छोड़कर लाहौर के नेशनल कॉलेज में शामिल हो गए। वहां उन्होंने यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों के बारे में अध्ययन किया जिससे वे बेहद प्रेरित हुए।

(ग) भगत सिंह के परिवार ने पूरी तरह से गांधीवादी विचारधारा का समर्थन किया और खुद भगत सिंह भी महात्मा गाँधी की विचारों से सहमत थे लेकिन जल्द ही उनका गाँधी विचारधारा से मोहभंग हो गया। उन्हें लगा कि अहिंसक आंदोलन से उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा और सशस्त्र संघर्ष ही अंग्रेजों से लड़ने का एकमात्र तरीका है। उनकी किशोरावस्था के दौरान दो प्रमुख घटनाक्रम उनकी विचारधारा में बदलाव के लिए जिम्मेदार थे। ये 1919 में हुआ जलियांवाला बाग नरसंहार और 1921 में ननकाना साहिब में निहत्थे अकाली प्रदर्शनकारियों की हत्या थी।

(घ) भगत सिंह एक उत्साही पाठक थे और इस बात को महसूस करते थे कि युवाओं को प्रेरित करने के लिए कागजात और पत्रक वितरण के बजाए क्रांतिकारी लेख और किताबें लिखना आवश्यक था। उन्होंने कीर्ति किसान पार्टी की पत्रिका "कीर्ति" और कुछ समाचार पत्रों के लिए कई क्रांतिकारी लेख लिखे हैं।

(ड़) सिख परिवार में पैदा हुए लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बाल और दाढ़ी को कटवा दिया ताकि वे ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या के लिए पहचाने न जा सके और गिरफ्तार न हो सकें। 

Apathit Gadyansh for Class 11

अपठित गद्यांश 

आते ही उपकार याद ही माता | तेरा,

हो जाता मन मुग्ध भक्तिभावो का प्रेरा,

तू पूजा के योग्य, कीर्ति तेरी हम गावों,

मन होता है, तुम उठाकर शीश चढ़ावे |

वह शक्ति कहाँ, है| क्या करे, क्यों हमको लज्जा न हो?

हम मातृभूमि, केवल तुझे शीश शुका सकते अहो ||

कोई व्यक्ति विशेष नहीं तेरा अपना है,

जो यह समझे हाय | देखता वह सपना है,

तुझको सारे जीव एक से ही प्यारे है,

कर्मों के फल मात्र यहां न्यारे - न्यारे है |

हे मातृभूमि| तेरे निकट सबका सम सम्बन्ध है |

जो भेद मानता, वह अहो| लोचनयुत भी अंध है ||

जिस पृथ्वी से मिले हमारे पूर्वज प्यारे,

उससे हे भगवान | कभी हम रहे न न्यारे,

लोट - लोटकर वही ह्रदय को शांत करेंगे,

उसमे मिलते समय मृत्यु से नहीं डरेंगे |

उस मृत्युभूमि की धूल में जब पुरे सन जायँगे |

होकर भव - बंधन - मुक्त हम आत्म रूप बन जायँगे ||

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) मातृभूमि से सबका क्या और कैसा सम्बन्ध है?

(ख) कवि ने अँधा किसे कहाँ है?

(ग) काव्यांश से किस प्रकार के प्रेरणा मिलती है?

(घ) व्यक्ति आत्मा - रूप कब बन सकता है?

(ड़) काव्यांश में मुख्य रूप से किस भाव का वर्णन हुआ है?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) मातृभूमि के लिए इस पर निवास करने वाले सभी मानव एवं सभी जीव समान रूप से प्रिय है| मातृभमि सभी से समान सम्बन्ध रखती है| वह किसी के भी प्रति भेदभाव नहीं रखती है| इस तरह मातृभूमि से सबका माता पुत्र जैसे सम्बन्ध है|

(ख) कवि ने उस व्यक्ति को नेत्रों के होते हुए भी अन्धा बतलाया है जो यह नहीं समझता कि मातृभूमि के लिए तो सभी समान है| उसे सभी एक से ही प्यारे है|

(ग) प्रस्तुत काव्यांश से मातृभूमि के प्रति भक्ति का भाव रखने की प्रेरणा मिलती है, क्योंकि हम पर मातृभूमि का अत्यधिक उपकार है | जिस मातृभूमि में हमारे पूर्वज लीन हो गए, उससे हम कभी न्यारे न हो|

(घ) कवि के अनुसार मातृभूमि में मिलने के बाद व्यक्ति सुब बंधनो से मुक्त होकर आत्म-रूप बन जाता है| व्यक्ति के मरने के बाद क्षिति, जल, पावक आदि पंचतत्व विलीन हो जाते है किन्तु आत्मा ही शेष रहती है|

(ड़) प्रस्तुत काव्यांश में मुख्य रूप से भक्ति भाव का वर्णन हुआ है| कवि ने  मातृभूमि के प्रति भक्ति का भाव व्यक्त किया है|

Discursive Passage Hindi for Class 11

 

अपठित गद्यांश 

वे आर्य ही थे जो कभी अपने लिए जीते न थे,

वे स्वार्थ - रत हो मोह की मंदिरा कभी पीते न थे |

संसार के उपकार - हित जब जन्म लेते थे सभी,

निश्चित होकर किस तरह वे बैठ सकते थे कभी ? ||

 

लक्ष्मी नहीं, सर्वस्व जावे, सत्य छोड़ेंगे नहीं,

अंधे बने पर सत्य से सम्बन्ध तोड़ेंगे नहीं |

निज-सूत- मरण स्वीकार है पर वचन की रक्षा रहे,

है कौन जो उन पूर्वजो के शील की सीमा कहे ? ||

 

सर्वस्व करके दान जो चालीसा दिन भूखे रहे,

अपने अतिथि-सत्कार में फिर भी न जो रूखे रहे|

पर- तृप्ति कर निज तृप्ति मानी रंतिदेव नरेश ने,

ऐसे अतिथि - संतोष - कर पैदा किये किस देश ने ? ||

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) "वे आर्य ही थे"- कवि ने आर्यो को किन आदर्शों से मंडित बताया है?

(ख) राजा रंतिदेव का कौनसा आचरण वंदनीय था?

(ग) "सत्य से सम्बन्ध तोड़ेंगे नहीं"- इसमें किनकी सत्यनिष्ठा बताई गयी है?

(घ) "उन पूर्वजो के शील की सीमा"- इससे कवि का क्या आशय है?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) कवि ने बताया है कि आर्य लोग परोपकार, सदाचरण, सत्याचरण, त्याग, अतिथि-सेवा आदि आदर्शो को अपनाकर जीवनयापन करते थे|

(ख) राजा रंतिदेव सर्वस्व दान करके चालीसा दिन तक सपरिवार भूखे रहे| उसके बाद जो भोजन मिला, उसे भी अतिथि को दे दिया |

(ग) इसमें राजा हरिश्चंद कीसत्यनिष्ठा बताई गयी है, उन्होंने सत्यनिष्ठा की खातिर सर्वस्व त्याग कर दिया था|

(घ) भारतीयों के पूर्वज त्याग, सेवा, सदाचार आदि आदर्शों से पूरित थे, उनकी सत्यनिष्ठा असीम थी| 

Apathit Gadyansh for Class 11 with answers pdf

 

अपठित गद्यांश 

मदर टेरेसा एक महान व्यक्तित्व थी जिन्होंने अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया। वो पूरी दुनिया में अपने अच्छे कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं। वो हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी क्योंकि वो एक सच्ची माँ की तरह थीं। वो एक महान किंवदंती थी तथा हमारे समय की सहानुभूति और सेवा की प्रतीक के रुप में पहचानी जाती हैं। वो एक नीले बाडर्र वाली सफेद साड़ी पहनना पसंद करती थीं। वो हमेशा खुद को ईश्वर की समर्पित सेवक मानती थी जिसको धरती पर झोपड़-पट्टी समाज के गरीब, असहाय और पीड़ित लोगों की सेवा के लिये भेजा गया था। उनके चेहरे पर हमेशा एक उदार मुस्कुराहट रहती थी।

उनका जन्म मेसेडोनिया गणराज्य के सोप्जे में 26 अगस्त 1910 में हुआ था और अग्नेसे ओंकशे बोजाशियु के रुप में उनके अभिवावकों के द्वारा जन्म के समय उनका नाम रखा गया था। वो अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थी। कम उम्र में उनके पिता की मृत्यु के बाद बुरी आर्थिक स्थिति के खिलाफ उनके पूरे परिवार ने बहुत संघर्ष किया था। उन्होंने चर्च में चैरिटी के कार्यों में अपने माँ की मदद करनी शुरु कर दी थी। वो ईश्वर पर गहरी आस्था, विश्वास और भरोसा रखनो वाली महिला थी। मदर टेरेसा अपने शुरुआती जीवन से ही अपने जीवन में पायी और खोयी सभी चीजों के लिये ईश्वर का धन्यवाद करती थी। बहुत कम उम्र में उन्होंने नन बनने का फैसला कर लिया और जल्द ही आयरलैंड में लैरेटो ऑफ नन से जुड़ गयी। अपने बाद के जीवन में उन्होंने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक शिक्षक के रुप में कई वर्षों तक सेवा की।

दार्जिलिंग के नवशिक्षित लौरेटो में एक आरंभक के रुप में उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की जहाँ मदर टेरेसा ने अंग्रेजी और बंगाली (भारतीय भाषा के रुप में) का चयन सीखने के लिये किया इस वजह से उन्हें बंगाली टेरेसा भी कहा जाता है। दुबारा वो कोलकाता लौटी जहाँ भूगोल की शिक्षिका के रुप में सेंट मैरी स्कूल में पढ़ाया। एक बार, जब वो अपने रास्ते में थी, उन्होंने मोतीझील झोपड़-पट्टी में रहने वाले लोगों की बुरी स्थिति पर ध्यान दिया। ट्रेन के द्वारा दार्जिलिंग के उनके रास्ते में ईश्वर से उन्हें एक संदेश मिला, कि जरुरतमंद लोगों की मदद करो। जल्द ही, उन्होंने आश्रम को छोड़ा और उस झोपड़-पट्टी के गरीब लोगों की मदद करनी शुरु कर दी। एक यूरोपियन महिला होने के बावजूद, वो एक हमेशा बेहद सस्ती साड़ी पहनती थी।

अपने शिक्षिका जीवन के शुरुआती समय में, उन्होंने कुछ गरीब बच्चों को इकट्ठा किया और एक छड़ी से जमीन पर बंगाली अक्षर लिखने की शुरुआत की। जल्द ही उन्हें अपनी महान सेवा के लिये कुछ शिक्षकों द्वारा प्रोत्साहित किया जाने लगा और उन्हें एक ब्लैकबोर्ड और कुर्सी उपलब्ध करायी गयी। जल्द ही, स्कूल एक सच्चाई बन गई। बाद में, एक चिकित्सालय और एक शांतिपूर्ण घर की स्थापना की जहाँ गरीब अपना इलाज करा सकें और रह सकें। अपने महान कार्यों के लिये जल्द ही वो गरीबों के बीच में मसीहा के रुप में प्रसिद्ध हो गयीं। मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा के लिये उन्हें सितंबर 2016 में संत की उपाधि से नवाजा जाएगा जिसकी आधिकारिक पुष्टि वेटिकन से हो गई है।

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) मदर टेरेसा एक सच्ची माँ के रूप में किस प्रकार है?

(ग) मदर टेरेसा को बंगाली टेरेसा क्यों कहा जाता था?

(घ) मदर टेरेसा ने स्कूल, चिकत्सालय और घर की स्थापना किस प्रकार की बताइये?

(ड़) मदर टेरेसा का जन्म कब हुआ तथा उन ने नन बनने का फैसला कब लिया?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक ‘एक महान व्यक्तित्व - मदर टेरेसा’ है|

(ख) मदर टेरेसा एक सच्ची माँ की तरह थीं। वो एक महान किंवदंती थी तथा हमारे समय की सहानुभूति और सेवा की प्रतीक के रुप में पहचानी जाती हैं। वो एक नीले बाडर्र वाली सफेद साड़ी पहनना पसंद करती थीं। वो हमेशा खुद को ईश्वर की समर्पित सेवक मानती थी जिसको धरती पर झोपड़-पट्टी समाज के गरीब, असहाय और पीड़ित लोगों की सेवा के लिये भेजा गया था। उनके चेहरे पर हमेशा एक उदार मुस्कुराहट रहती थी।

(ग) दार्जिलिंग के नवशिक्षित लौरेटो में एक आरंभक के रुप में उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की जहाँ मदर टेरेसा ने अंग्रेजी और बंगाली (भारतीय भाषा के रुप में) का चयन सीखने के लिये किया इस वजह से उन्हें बंगाली टेरेसा भी कहा जाता है। दुबारा वो कोलकाता लौटी जहाँ भूगोल की शिक्षिका के रुप में सेंट मैरी स्कूल में पढ़ाया। एक बार, जब वो अपने रास्ते में थी, उन्होंने मोतीझील झोपड़-पट्टी में रहने वाले लोगों की बुरी स्थिति पर ध्यान दिया।

(घ) अपनी महान सेवा के लिये कुछ शिक्षकों द्वारा प्रोत्साहित किया जाने लगा और उन्हें एक ब्लैकबोर्ड और कुर्सी उपलब्ध करायी गयी। जल्द ही, स्कूल एक सच्चाई बन गई। बाद में, एक चिकित्सालय और एक शांतिपूर्ण घर की स्थापना की जहाँ गरीब अपना इलाज करा सकें और रह सकें। अपने महान कार्यों के लिये जल्द ही वो गरीबों के बीच में मसीहा के रुप में प्रसिद्ध हो गयीं। मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा के लिये उन्हें सितंबर 2016 में संत की उपाधि से नवाजा जाएगा जिसकी आधिकारिक पुष्टि वेटिकन से हो गई है।

(ड़) मदर टेरेसा का जन्म मेसेडोनिया गणराज्य के सोप्जे में 26 अगस्त 1910 में हुआ था और अग्नेसे ओंकशे बोजाशियु के रुप में उनके अभिवावकों के द्वारा जन्म के समय उनका नाम रखा गया था। वो अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थी। कम उम्र में उनके पिता की मृत्यु के बाद बुरी आर्थिक स्थिति के खिलाफ उनके पूरे परिवार ने बहुत संघर्ष किया था। मदर टेरेसा अपने शुरुआती जीवन से ही अपने जीवन में पायी और खोयी सभी चीजों के लिये ईश्वर का धन्यवाद करती थी। बहुत कम उम्र में उन्होंने नन बनने का फैसला कर लिया और जल्द ही आयरलैंड में लैरेटो ऑफ नन से जुड़ गयी।

Short Apathit Gadyansh Class 11 with questions and answers

 

अपठित गद्यांश 

अपने देश के लिये सबसे जरुरी संपत्ति के रुप में बच्चों को संरक्षित किया जाता है जबकि इनके माता-पिता की गलत समझ और गरीबी की वजह से बच्चे देश की शक्ति बनने के बजाए देश की कमजोरी का कारण बन रहे है। बच्चों के कल्याण के लिये कल्याकारी समाज और सरकार की ओर से बहुत सारे जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद गरीबी रेखा से नीचे के ज्यादातर बच्चे रोज बाल मजदूरी करने के लिये मजबूर होते है।

किसी भी राष्ट्र के लिये बच्चे नए फूल की शक्तिशाली खुशबू की तरह होते है जबकि कुछ लोग थोड़े से पैसों के लिये गैर-कानूनी तरीके से इन बच्चों को बाल मजदूरी के कुँएं में धकेल देते है साथ ही देश का भी भविष्य बिगाड़ देते है। ये लोग बच्चों और निर्दोष लोगों की नैतिकता से खिलवाड़ करते है। बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है। ये एक सामाजिक समस्या है जो लंबे समय से चल रहा है और इसे जड़ से उखाड़ने की जरुरत है।

देश की आजादी के बाद, इसको जड़ से उखाड़ने के लिये कई सारे नियम-कानून बनाए गये लेकिन कोई भी प्रभावी साबित नहीं हुआ। इससे सीधे तौर पर बच्चों के मासूमियत का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरीके से विनाश हो रहा है। बच्चे प्रकृति की बनायी एक प्यारी कलाकृति है लेकिन ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि कुछ बुरी परिस्थितियों की वजह से बिना सही उम्र में पहुँचे उन्हें इतना कठिन श्रम करना पड़े।

बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है। बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीब के साथ-साथ अमीर लोगों को भी तुरंत अवगत कराने की जरुरत है। उन्हें हर तरह की संसाधनों की उपलब्ता करानी चाहिये जिसकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसको जड़ से मिटाने के लिये सरकार को कड़े नियम-कानून बनाने चाहिए।

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) बच्चो को बाल मजदूरी के कुएँ में धकेलने के कारण बताइये?

(ग) बाल मजदूरी के कारण बच्चो पर कैसा प्रभाव पड़ता है?

(घ) प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर बाल मजदूरी क्या है?

(ड) 'परिस्थितियों' शब्द में उपसर्ग बताइये तथा उपसर्ग का उपयोग करके चार शब्द बनाइये?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक बच्चे या बाल मज़दूर है|

(ख) किसी भी राष्ट्र के लिये बच्चे नए फूल की शक्तिशाली खुशबू की तरह होते है जबकि कुछ लोग थोड़े से पैसों के लिये गैर-कानूनी तरीके से इन बच्चों को बाल मजदूरी के कुँएं में धकेल देते है साथ ही देश का भी भविष्य बिगाड़ देते है। ये लोग बच्चों और निर्दोष लोगों की नैतिकता से खिलवाड़ करते है। बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक की है।

(ग) बच्चे प्रकृति की बनायी एक प्यारी कलाकृति है लेकिन ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि कुछ बुरी परिस्थितियों की वजह से बिना सही उम्र में पहुँचे उन्हें इतना कठिन श्रम करना पड़े। इससे सीधे तौर पर बच्चों के मासूमियत का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरीके से विनाश हो रहा है।

(घ) बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है।

(ड) 'परिस्थितियों' शब्द में 'परि' उपसर्ग |

परिजन, परिक्रम, परिपूर्ण, परिणाम

 

Apathit Gadyansh for Class 11

अपठित गद्यांश 

महासागर, बर्फ की चोटी सहित पूरा पर्यावरण और धरती की सतह का नियमित गर्म होने की प्रक्रिया को ग्लोबल वार्मिंग कहते है। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक तौर पर वातावरणीय तापमान में वृद्धि देखी गई है। पर्यावरणीय सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, पिछले शताब्दी में 1.4 डिग्री फॉरेनहाईट (0.8 डिग्री सेल्सियस) के लगभग धरती के औसत तापमान में वृद्धि हुई है। ऐसा भी आकलन किया गया है कि अगली शताब्दी तक 2 से 11.5 डिग्री F की वृद्धि हो सकती है।

ग्लोबल वार्मिंग के बहुत सारे कारण है, इसका मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैस है जो कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं से तो कुछ इंसानों की पैदा की हुई है। जनसंख्या विस्फोट, अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के इस्तेमाल की वजह से 20वीं सदी में ग्रीनहाउस गैसों को बढ़ते देखा गया है। वातावरण में कई सारे ग्रीनहाउस गैसों के निकलने का कारण औद्योगिक क्रियाएँ है, क्योंकि लगभग हर जरुरत को पूरा करने के लिये आधुनिक दुनिया में औद्योगिकीकरण की जरुरत है।

पिछले कुछ वर्षों में कॉर्बनडाई ऑक्साइड(CO2) और सलफरडाई ऑक्साइड (SO2) 10 गुना से बढ़ा है। ऑक्सीकरण चक्रण और प्रकाश संश्लेषण सहित प्राकृतिक और औद्योगिक प्रक्रियाओं के अनुसार कॉर्बनडाई ऑक्साइड का निकलना बदलता रहता है। कार्बनिक समानों के सड़न से वातावरण में मिथेन नाम का ग्रीनहाउस गैस भी निकलता है। दूसरे ग्रीनहाउस गैस है-नाइट्रोजन का ऑक्साइड, हैलो कार्बन्स, CFCs क्लोरिन और ब्रोमाईन कम्पाउंड आदि। ये सभी वातावरण में एक साथ मिल जाते है और वातावरण के रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते है। उनके पास गर्म विकीकरण को सोखने की क्षमता है जिससे धरती की सतह गर्म होने लगती है।

अंर्टाटिका में ओजोन परत में कमी आना भी ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है। CFCs गैस के बढ़ने से ओजोन परत में कमी आ रही है। ये ग्लोबल वार्मिंग का मानव जनित कारण है। CFCc गैस का इस्तेमाल कई जगहों पर औद्योगिक तरल सफाई में एरोसॉल प्रणोदक की तरह और फ्रिज में होता है, जिसके नियमित बढ़ने से ओजोन परत में कमी आती है।

ओजोन परत का काम धरती को नुकसान दायक किरणों से बचाना है। जबकि, धरती के सतह की ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना इस बात का संकेत है कि ओजोन परत में क्षरण हो रहा है। हानिकारक अल्ट्रा वॉइलेट सूरज की किरणें जीवमंडल में प्रवेश कर जाती है और ग्रीनहाउस गैसों के द्वारा उसे सोख लिया जाता है जिससे अंतत: ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी होती है। अगर आँकड़ों पर नजर डाले तो ऐसा आकलन किया गया है कि अंर्टाटिका (25 मिलियन किलोमीटर) की छेद का दोगुना ओजोन परत में छेद है। सर्दी और गर्मी में ओजोन क्षरण का कोई खास चलन नहीं है।

वातावरण में एरोसॉल की मौजूदगी भी धरती की सतह के तापमान को बढ़ाती है। वातावरणीय ऐरोसॉल में फैलने की क्षमता है तथा वो सूरज की किरणों को और अधोरक्त किरणों को सोख सकती है। ये बादलों के लक्षण और माइक्रोफिजीकल बदलाव कर सकते है। वातावरण में इसकी मात्रा इंसानों की वजह से बढ़ी है। कृषि से गर्द पैदा होता है, जैव-ईंधन के जलने से कार्बनिक छोटी बूँदे और काले कण उत्पन्न होते है, और विनिर्माण प्रक्रियाओं में बहुत सारे विभिन्न पदार्थों के जलाए जाने से औद्योंगिक प्रक्रियाओं के द्वारा ऐरोसॉल पैदा होता है। परिवहन के माध्यम से भी अलग-अलग प्रदूषक निकलते है जो वातावरण में रसायनों से रिएक्ट करके एरोसॉल का निर्माण करते है।

ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के साधनों के कारण कुछ वर्षों में इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है। अमेरिका के भूगर्भीय सर्वेक्षणों के अनुसार, मोंटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव की वजह से अब सिर्फ 25 ही बचे हैं। बड़े जलवायु परिवर्तन से तूफान अब और खतरनाक और शक्तिशाली होता जा रहा है। तापमान अंतर से ऊर्जा लेकर प्राकृतिक तूफान बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो जा रहे है। 1895 के बाद से साल 2012 को सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया है और साल 2003 के साथ 2013 को 1880 के बाद से सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया।

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत सारे जलवायु परिवर्तन हुए है जैसे गर्मी के मौसम में बढ़ौतरी, ठंडी के मौसम में कमी,तापमान में वृद्धि, वायु-चक्रण के रुप में बदलाव, जेट स्ट्रीम, बिन मौसम बरसात, बर्फ की चोटियों का पिघलना, ओजोन परत में क्षरण, भयंकर तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि।

सरकारी एजेँसियों, व्यापारिक नेतृत्व, निजी क्षेत्रों और एनजीओ आदि के द्वारा, कई सारे जागरुकता अभियान और कार्यक्रम चलाये और लागू किये जा रहे है। ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा कुछ ऐसे नुकसान है जिनकी भरपाई असंभव है(बर्फ की चोटियों का पिघलना)। हमें अब पीछे नहीं हटना चाहिए और ग्लोबल वार्मिंग के मानव जनित कारकों को कम करने के द्वारा हर एक को इसके प्रभाव को घटाने के लिये अपना बेहतर प्रयास करना चाहिए। हमें वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों का कम से कम उत्सर्जन करना चाहिये और उन जलवायु परिवर्तनों को अपनाना चाहिये जो वर्षों से होते आ रहे है। बिजली की ऊर्जा के बजाये शुद्ध और साफ ऊर्जा के इस्तेमाल की कोशिश करनी चाहिये अथवा सौर, वायु और जियोथर्मल से उत्पन्न ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिये। तेल जलाने और कोयले के इस्तेमाल, परिवहन के साधनों, और बिजली के सामानों के स्तर को घटाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को घटाया जा सकता है।

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

(ग) गद्यांश के आधार पर ग्लोबल वार्मिंग के क्या क्या कारण है?

(घ) ग्लोबल वार्मिंग का हमारी जलवायु पर क्या क्या प्रभाव पड़ा है? बताइये|

(ड़) ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से हम किस प्रकार बच सकते है?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक ‘ग्लोबल वार्मिंग’ है| 

(ख) महासागर, बर्फ की चोटी सहित पूरा पर्यावरण और धरती की सतह का नियमित गर्म होने की प्रक्रिया को ग्लोबल वार्मिंग कहते है। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक तौर पर वातावरणीय तापमान में वृद्धि देखी गई है। पर्यावरणीय सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, पिछले शताब्दी में 1.4 डिग्री फॉरेनहाईट (0.8 डिग्री सेल्सियस) के लगभग धरती के औसत तापमान में वृद्धि हुई है। ऐसा भी आकलन किया गया है कि अगली शताब्दी तक 2 से 11.5 डिग्री F की वृद्धि हो सकती है।

(ग) ग्लोबल वार्मिंग के बहुत सारे कारण है, इसका मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैस है जो कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं से तो कुछ इंसानों की पैदा की हुई है। पिछले कुछ वर्षों में कॉर्बनडाई ऑक्साइड(CO2) और सलफरडाई ऑक्साइड (SO2) 10 गुना से बढ़ा है। ऑक्सीकरण चक्रण और प्रकाश संश्लेषण सहित प्राकृतिक और औद्योगिक प्रक्रियाओं के अनुसार कॉर्बनडाई ऑक्साइड का निकलना बदलता रहता है| अंर्टाटिका में ओजोन परत में कमी आना भी ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है।

(घ) ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के साधनों के कारण कुछ वर्षों में इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है। मोंटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव की वजह से अब सिर्फ 25 ही बचे हैं। बड़े जलवायु परिवर्तन से तूफान अब और खतरनाक और शक्तिशाली होता जा रहा है। तापमान अंतर से ऊर्जा लेकर प्राकृतिक तूफान बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो जा रहे है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत सारे जलवायु परिवर्तन हुए है जैसे गर्मी के मौसम में बढ़ौतरी, ठंडी के मौसम में कमी,तापमान में वृद्धि, वायु-चक्रण के रुप में बदलाव, जेट स्ट्रीम, बिन मौसम बरसात, बर्फ की चोटियों का पिघलना, ओजोन परत में क्षरण, भयंकर तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि।

(ड़) सरकारी एजेँसियों, व्यापारिक नेतृत्व, निजी क्षेत्रों और एनजीओ आदि के द्वारा, कई सारे जागरुकता अभियान और कार्यक्रम चलाये और लागू किये जा रहे है। ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा कुछ ऐसे नुकसान है जिनकी भरपाई असंभव है(बर्फ की चोटियों का पिघलना)। हमें अब पीछे नहीं हटना चाहिए और ग्लोबल वार्मिंग के मानव जनित कारकों को कम करने के द्वारा हर एक को इसके प्रभाव को घटाने के लिये अपना बेहतर प्रयास करना चाहिए। हमें वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों का कम से कम उत्सर्जन करना चाहिये और उन जलवायु परिवर्तनों को अपनाना चाहिये जो वर्षों से होते आ रहे है।

Discursive Passage Hindi for Class 11

 

अपठित गद्यांश 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधुनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसने मानव सभ्यता को गहराई में जाकर प्रभावित किया है। आधुनिक जीवन में तकनीकी उन्नति ने पूरे संसार में हमें बहुत अधिक उल्लेखनीय अंतर्दृष्टि दी है। वैज्ञानिक क्रान्तियों ने 20वीं शताब्दी में अपनी पूरी गति पकड़ी और 21वीं सदी में और भी अधिक उन्नत हो गई। हमने नए तरीके और लोगों के भले के लिए सभी व्यवस्थाओं के साथ नई सदी में प्रवेश किया है। आधुनिक संस्कृति और सभ्यता विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो गई है क्योंकि वे लोगों की जरुरत और आवश्यकता के अनुसार जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं।

भारत रचनात्मक और मूलभूत वैज्ञानिक विकास और सभी दृष्टिकोणों में दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। सभी महान वैज्ञानिक खोजों और तकनीकी उपलब्धियों ने हमारे देश में भारतीय आर्थिक स्थिति को सुधारा है और तकनीकी रूप से उन्नत वातावरण को विकसित करने के लिए नई पीढ़ी के लिए कई नए तरीकों का निर्माण किया है। गणित, आर्किटेक्चर, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, धातुकर्म, प्राकृतिक दर्शन, भौतिक विज्ञान, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, फार्मास्यूटिकल्स, खगोल भौतिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, आवेदन, रक्षा आदि के क्षेत्र में कई नए वैज्ञानिक शोध और विकास संभव हो गए हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध, विचारों और तकनीकों का परिचय नई पीढ़ी में बड़े स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन लाया है और उन्हें अपने स्वयं के हित में काम करने के लिए नए और अभिनव के अवसरों की विविधता प्रदान की है। भारत में आधुनिक विज्ञान ने लोगों को वैज्ञानिकों ने अपने निरंतर और कठिन प्रयासों से जागृत कर दिया है। भारत के वैज्ञानिक महान है, जिन्होंने उच्चतम अंतर्राष्ट्रीय कैलिबर की वैज्ञानिक प्रगति को संभव किया है।

किसी भी क्षेत्र में तकनीकी विकास किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है। भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति में सुधार के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1942 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और 1940 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के बोर्ड का निर्माण किया। देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर देने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान संस्थानों की एक श्रृंखला स्थापित की है।

आजादी के बाद, देश के राष्ट्रीय विकास के लिए हमारे देश ने विज्ञान के प्रसार और विस्तार को बढ़ावा देना शुरु किया है। सरकार द्वारा बनाई गई विभिन्न नीतियों ने पूरे देश में आत्मनिर्भरता और टिकाऊ विकास और वृद्धि पर जोर दिया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी दोनों ने ही देश में असाधारण ढंग से आर्थिक विकास और सामाजिक विकास पर असर डाला है।

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) भारत रचनात्मक और वैज्ञानिक विकास और सभी दृष्टिकोणों में दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण स्रोत किस प्रकार बन गया है?

(ग) शिक्षा से क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध का क्या स्थान रहा है बताइये?

(घ) भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति में सुधार के लिए भारत सरकार ने क्या कदम उठाये है?

(ड़) 'आत्मनिर्भरता' शब्द में प्रत्यय बताइये तथा चार शब्द बनाइये?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक विज्ञान और प्रौद्योगिकी है|

(ख) भारत रचनात्मक और मूलभूत वैज्ञानिक विकास और सभी दृष्टिकोणों में दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। सभी महान वैज्ञानिक खोजों और तकनीकी उपलब्धियों ने हमारे देश में भारतीय आर्थिक स्थिति को सुधारा है और तकनीकी रूप से उन्नत वातावरण को विकसित करने के लिए नई पीढ़ी के लिए कई नए तरीकों का निर्माण किया है। गणित, आर्किटेक्चर, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, धातुकर्म, प्राकृतिक दर्शन, भौतिक विज्ञान, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, फार्मास्यूटिकल्स, खगोल भौतिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, आवेदन, रक्षा आदि के क्षेत्र में कई नए वैज्ञानिक शोध और विकास संभव हो गए हैं।

(ग) शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध, विचारों और तकनीकों का परिचय नई पीढ़ी में बड़े स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन लाया है और उन्हें अपने स्वयं के हित में काम करने के लिए नए और अभिनव के अवसरों की विविधता प्रदान की है। भारत में आधुनिक विज्ञान ने लोगों को वैज्ञानिकों ने अपने निरंतर और कठिन प्रयासों से जागृत कर दिया है। भारत के वैज्ञानिक महान है, जिन्होंने उच्चतम अंतर्राष्ट्रीय कैलिबर की वैज्ञानिक प्रगति को संभव किया है।

(घ) भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति में सुधार के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1942 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और 1940 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के बोर्ड का निर्माण किया। देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर देने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान संस्थानों की एक श्रृंखला स्थापित की है।

(ड़) 'आत्मनिर्भरता' शब्द में 'ता' प्रत्यय है:-

डूबता, बहता, चलता, रेंगता

Apathit Gadyansh with multiple choice questions for Class 11

 

अपठित गद्यांश 

प्लास्टिक बैग सामान लाने के लिये एक बहुत ही सुविधाजनक साधन है और यह हमारे आधुनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है। हम लगभग प्रतिदिन ही इनका उपयोग करते है और जब दुकानदार द्वारा हमें बताया जाता है कि इनका उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है और हमे अपना खुद का बैग लाना होगा या कपड़े का बैग खरीदना होगा तो हममें से कई लोग इस बात को लेकर नाराज भी हो जाते है। हम इस बात को समझने में नाकाम हो जाते है कि सरकार ने हमारी भलाई के लिए ही इन प्लास्टिक बैगों पर प्रतिबंध लगाया है।

यहा कुछ कारण बताये गये है कि क्यों हमें प्लास्टिक बैगों का उपयोग बंद करना चाहिये और पर्यावरण के अनूकुल दूसरे विकल्पो को अपनाना चाहीए।

प्लास्टिक बैग एक नान-बायोग्रेडिबल पदार्थ है, इसलिये इनका उपयोग अच्छा नही माना जाता है क्योंकि इनका उपयोग करने से भारी मात्रा में अपशिष्ट इकठ्ठा हो जाता है। यह इस्तेमाल करके फेंक दिए जाने वाले प्लास्टिक बैग निस्तारण के लिए भी एक गंभीर समस्या है। यह छोटे-छोटे टुकड़ो में टुट जाते है और वातावरण में हजारो वर्षो तक बने रहकर प्रदूषण फैलाते है।

प्लास्टिक काफी हल्का होता है और लोगो द्वारा उपयोग करके इधर-उधर फेंक दिया जाता है, जिससे यह हवा द्वारा उड़कर जल स्त्रोतो में पहुंच जाते है। इसके अलावा पैक्ड खाद्य पदार्थ भी प्लास्टिक पैकिंग में आते है और जो व्यक्ति पिकनिक और कैंपिग के लिये जाते है तो इन खराब प्लास्टिक बैगों को वही फेंक देते है, जिससे यह आप पास के समुद्रो और नदियों में मिलकर जल प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न करता है।

प्लास्टिक बैग में मौजूद विभिन्न रसायन मिट्टी को दूषित कर देते है। ये मिट्टी को बंजर बना देता है, जिससे पेड़-पौधो की वृद्धि रुक जाती है। इसेक साथ ही यह खेती को भी प्रभावित करता है जो हमारे देश में रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र है।

जानवर प्लास्टिक बैग और फेंके गये खाने में फर्क नही समझ पाते है, जिससे वह कचरे के डिब्बो या जगहो से फेंके गये भोजन के साथ प्लास्टिक को भी खा लेते है और यह उनके पाचन तंत्र में फंस जाता है तथा ज्यादे मात्रा में प्लास्टिक खा लेने पर यह उनके गले में फस जाता है जिससे दम घुटने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इसके आलावा छोटे-छोटे मात्रा में उनके द्वारा जो प्लास्टिक खाया जाता है वह उनके पेंट में इकठ्ठा हो जाता है, जिससे यह जानवरो में कई तरह के बीमारियों का कारण बनता है।

प्लास्टिक बैग ज्यादेतर पोलीप्रोपलाईन से बने होते है जोकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से बनता है। यह दोनो ही अनवकरणीय जीवाश्म ईंधन है और इनके निष्कर्षण से ग्रीन हाउस गैसे उत्पन्न होती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है।

यद्यपि प्लास्टिक बैग हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गये है, लेकिन फिर भी इनका उपयोग रोकना इतना कठिन नही है, जितना की यह दिखता है। सरकार द्वारा हमारे देश के कई राज्यो में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन फिर भी लोग इनका धड़ल्ले से उपयोग कर रहे है और बाजारो में यह अभी भी आसानी से उपलब्ध है।

सरकार को इस विषय को लेकर कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है, जिससे की इनका उपयोग बंद किया जा सके। इसके साथ ही एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इनका उपयोग बंद कर दे। प्लास्टिक प्रतिबंध तभी सफल हो सकता है, जब हममे से हर एक व्यक्ति इनका उपयोग करना बंद कर दे।

प्लास्टिक बैगों के उपयोग से उनका नकरात्मक प्रभाव समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है। इनके द्वारा पर्यावरण को होने वाले नुकसानो से तो हम सभी परिचित है। अब अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिये हमें प्लास्टिक उपयोग को बंद करने जैसे बड़े फैसले लेने की आवश्यकता है।

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) प्लास्टिक बैग का उपयोग क्यों बंद होना चाहिए?

(ग) प्लास्टिक बैग जानवरो के जीवन में बिमारियों का करना किस प्रकर बन गए है?

(घ) प्लास्टिक बैग के उपयोग से किस प्रकार छुटकारा पाया जा सकता है?

(ड़) 'प्लास्टिक बैग हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है' स्पष्ट कीजिये?

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक प्लास्टिक बैग और प्रदुषण है|

(ख) प्लास्टिक बैग का उपयोग निम्न समस्याओं का कारण बन सकता है:-

(1) प्लास्टिक बैग का उपयोग भूमि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है|

(2) जल प्रदूषण में वृद्धि करता है|

(3) पेड़-पौधो की वृद्धि को प्रभावित करता है|

(4) प्लास्टिक बैग का उपयोग जानवरो में गंभीर बीमारियां उत्पन्न करता है|

(5) जलवायु परिवर्तन के लिये भी जिम्मेदार है|

 

(ग) जानवर प्लास्टिक बैग और फेंके गये खाने में फर्क नही समझ पाते है, जिससे वह कचरे के डिब्बो या जगहो से फेंके गये भोजन के साथ प्लास्टिक को भी खा लेते है और यह उनके पाचन तंत्र में फंस जाता है तथा ज्यादे मात्रा में प्लास्टिक खा लेने पर यह उनके गले में फस जाता है जिससे दम घुटने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इसके आलावा छोटे-छोटे मात्रा में उनके द्वारा जो प्लास्टिक खाया जाता है वह उनके पेंट में इकठ्ठा हो जाता है, जिससे यह जानवरो में कई तरह के बीमारियों का कारण बनता है।

(घ) सरकार द्वारा हमारे देश के कई राज्यो में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन फिर भी लोग इनका धड़ल्ले से उपयोग कर रहे है और बाजारो में यह अभी भी आसानी से उपलब्ध है। सरकार को इस विषय को लेकर कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है, जिससे की इनका उपयोग बंद किया जा सके। इसके साथ ही एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इनका उपयोग बंद कर दे। प्लास्टिक प्रतिबंध तभी सफल हो सकता है, जब हममे से हर एक व्यक्ति इनका उपयोग करना बंद कर दे।

(ड़) प्लास्टिक बैग सामान लाने के लिये एक बहुत ही सुविधाजनक साधन है और यह हमारे आधुनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है। हम लगभग प्रतिदिन ही इनका उपयोग करते है और जब दुकानदार द्वारा हमें बताया जाता है कि इनका उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है और हमे अपना खुद का बैग लाना होगा या कपड़े का बैग खरीदना होगा तो हममें से कई लोग इस बात को लेकर नाराज भी हो जाते है। हम इस बात को समझने में नाकाम हो जाते है कि सरकार ने हमारी भलाई के लिए ही इन प्लास्टिक बैगों पर प्रतिबंध लगाया है।

Apathit Gadyansh for Class 11 with answers pdf

अपठित गद्यांश 

दिवाली की पूरी चमक-धमक, जोकि आज के समय में एक बहस और चर्चा का विषय बन गया है। दिवाली के विषय में होने वाली चर्चाओं में मुख्यतः पटाखों के दुष्प्रभावों का मुद्दा छाया रहता है। हाल के शोधों से पता चला है कि जब लोग प्रतिवर्ष पटाखे जलाते हैं तो उससे उत्पन्न होने वाले कचरें के अवशेषों का पर्यावरण पर बहुत ही हानिकारक प्रभाव उत्पन्न होते हैं।

फूटते हुए पटाखें काफी ज्यादा मात्रा में धुआं उत्पन्न करते हैं, जो समान्य वायु में मिश्रित हो जाती है और दिल्ली जैसे शहरों में जहां हवा पहले से ही अन्य कारणों द्वारा काफी प्रदूषित है। जब पटाखों का धुआं हवा के साथ मिलता है तो वह वायु की गुणवत्ता को और भी ज्यादे खराब कर देता है, जिससे की स्वास्थ्य पर इस प्रदूषित वायु का प्रभाव और भी ज्यादे हानिकारक हो जाता है। आतिशबाजी द्वारा उत्पन्न यह छोटे-छोटे कण धुंध में मिल जाते हैं और हमारे फेफड़ो तक पहुंचकर कई सारे बीमारियों का कारण बनते हैं।

पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, स्ट्रोंटियम, लिथियम, एंटीमोनी, सल्फर, पोटेशियम और एल्यूमिनियम जैसे हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं। यह रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। एंटीमोनी सल्फाइड और एल्यूमीनियम जैसे तत्व अल्जाइमर रोग का कारण बनते है। इसके अलावा पोटेशियम और अमोनियम से बने परक्लोराइट फेफड़ों के कैंसर का भी कारण बनते हैं। बेरियम नाइट्रेट श्वसन संबंधी विकार, मांसपेशियों की कमजोरी और यहां तक कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जैसी समस्याओं का कारण बनते है तथा कॉपर और लिथियम यौगिक हार्मोनल असंतुलन का भी पैदा कर सकते हैं। इसके साथ ही यह तत्व जानवरों और पौधों के लिए भी हानिकारक हैं।

दिवाली भले ही हम मनुष्यों के लिए एक हर्षोउल्लास का समय हो पर पशु-पक्षियों के लिए यह काफी कठिन समय होता है। जैसा की पालतू जानवरों के मालिक पहले से ही जानते होंगे की कुत्ते और बिल्ली अपने श्रवणशक्ति को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं। यही कारण है कि तेज आवाजें सुनकर वह काफी डर जाते हैं और पटाखों द्वारा लगातार उत्पन्न होने वाली तेज आवाजों के कारण यह निरीह प्राणी काफी डरे सहमें रहते हैं। इस मामले में छुट्टे जानवरों की दशा सबसे दयनीय होती है क्योंकि ऐसे माहौल में उनके पास छुपने की जगह नही होती है। कई सारे लोग मजे लेने के लिए इन जानवरों के पूछ में पटाखें बांधकर जला देते हैं। इसी तरह चिड़िया भी इस तरह की तेज आवाजों के कारण काफी बुरी तरीके से प्रभावित होती हैं, जोकि उन्हें डरा देता हैं। इसके साथ ही पटाखों के तेज प्रकाश के कारण उनके रास्ता भटकने या अंधे होने का भी खतरा बना रहता है।

भलें ही रंग-बिरंगी और तेज आवाजों वाली आतिशबाजियां हमें आनंद प्रदान करती हो, लेकिन उनका हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, हमारे वायुमंडल तथा इस ग्रह के अन्य प्राणियों पर काफी हानिकारक प्रभाव पड़ता हैं। इनके इन्हीं नकरात्मक प्रभावों को देखते हुए हमें पटाखों के उपयोग को कम करना होगा, क्योंकि हम क्षणिक आनंद हमारे लिए भयंकर दीर्घकालिक दुष्परिणाम उत्पन्न कर सकता है।

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?

(ख) पटाखों की आतिशबाजी का वायु पर क्या प्रभाव पड़ता है?

(ग) पटाखों की आतिशबाजी का मानव स्वस्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है?

(घ) आतिशबाजी का जानवरो के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

(ड़) 'पशु-पक्षियों' शब्द का समास विग्रह कीजिये, समास का नाम बताइये तथा परिभाषा लिखिए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-

(क) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक ‘आतिशबाजी और वायु प्रदुषण’ है|

(ख) पटाखें काफी ज्यादा मात्रा में धुआं उत्पन्न करते हैं, जो समान्य वायु में मिश्रित हो जाती है और दिल्ली जैसे शहरों में जहां हवा पहले से ही अन्य कारणों द्वारा काफी प्रदूषित है। जब पटाखों का धुआं हवा के साथ मिलता है तो वह वायु की गुणवत्ता को और भी ज्यादे खराब कर देता है, जिससे की स्वास्थ्य पर इस प्रदूषित वायु का प्रभाव और भी ज्यादे हानिकारक हो जाता है। आतिशबाजी द्वारा उत्पन्न यह छोटे-छोटे कण धुंध में मिल जाते हैं और हमारे फेफड़ो तक पहुंचकर कई सारे बीमारियों का कारण बनते हैं।

(ग) पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, स्ट्रोंटियम, लिथियम, एंटीमोनी, सल्फर, पोटेशियम और एल्यूमिनियम जैसे हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं। यह रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। एंटीमोनी सल्फाइड और एल्यूमीनियम जैसे तत्व अल्जाइमर रोग का कारण बनते है। इसके अलावा पोटेशियम और अमोनियम से बने परक्लोराइट फेफड़ों के कैंसर का भी कारण बनते हैं।

(घ) जैसा की पालतू जानवरों के मालिक पहले से ही जानते होंगे की कुत्ते और बिल्ली अपने श्रवणशक्ति को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं। यही कारण है कि तेज आवाजें सुनकर वह काफी डर जाते हैं और पटाखों द्वारा लगातार उत्पन्न होने वाली तेज आवाजों के कारण यह निरीह प्राणी काफी डरे सहमें रहते हैं। इस मामले में छुट्टे जानवरों की दशा सबसे दयनीय होती है क्योंकि ऐसे माहौल में उनके पास छुपने की जगह नही होती है। कई सारे लोग मजे लेने के लिए इन जानवरों के पूछ में पटाखें बांधकर जला देते हैं। इसी तरह चिड़िया भी इस तरह की तेज आवाजों के कारण काफी बुरी तरीके से प्रभावित होती हैं, जोकि उन्हें डरा देता हैं।

(ड़) 'पशु-पक्षियों' शब्द का समास विग्रह 'पशु और पक्षी' है|, समास का नाम - द्वन्द समास

द्वन्द समास वह समास जिस में दोनों शब्द प्रधान हो तथा समास विग्रह करने पर और, या, अथवा का प्रयोग हो|

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