Unseen Passage for Class 8 Hindi Apathit Gadyansh Solved

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Class 8 Hindi Apathit Gadyansh Unseen Passage

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Apathit Gadyansh for Class 8

अपठित गद्यांश 

धर्म का वास्तविक गुण प्रकट होता है जब हम जीवन का सत्य जानने के लिए और इस दुनिया की दया और क्षमा योग्य वस्तुओ में वृद्धि के लिए निरंतर खोज करते हैं और सतत अनुसंधान करते हैं| अनुसंधान या खोज की लगन और उद्देश्यों का विस्तार जिन्हें हम प्रेम अर्पण करते हैं, यह वास्तविक रूप में आध्यात्मिक मनुष्य के दो पक्ष होते हैं| हमें सत्य की खोज कब तक करते रहना चाहिए जब तक हम उसे पा ना लें और उससे हमारा साक्षात्कार ने हो| जो कुछ भी हो, हर मनुष्य में वही तत्व मौजूद है, अतः वह हमारे प्यार और हमारी सद्भावना का अधिकारी है| समाज और सारी सभ्यता केवल किस बात का प्रयास है कि मनुष्य आपस में सद्भाव के साथ रह सके| हम इस प्रयास को तब तक बनाए रखते हैं जब तक सारी दुनिया हमारा परिवार ने बन जाए|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) धर्म का वास्तविक गुण कब प्रकट होता है|

(ब) आध्यात्मिक मनुष्य के दो पक्ष कौन से हैं|

(स) हर मनुष्य में कौन सा तत्व मौजूद है|

(द) मनुष्य को आपस में सद्भावना का प्रयास कब तक करते रहना चाहिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) जीवन-सत्य एवं विश्व की दया-क्षमा योग्य वस्तु की खोज में संलग्न रहने पर धर्म का वास्तविक गुण प्रकट होता है|

(ब) आध्यात्मिक मनुष्य के यह दो पक्ष होते हैं- जीवन-सत्य की खोज में निरंतर लगे रहना और सृष्टि-प्रक्रिया के सत्यान्वेषण के उद्देश्यों के लिए स्वयं पारित करना स्वयं को अर्पित करना|

(स) हर मनुष्य में धर्म का वास्तविक गुण तथा सत्य का अनुसंधान करने का तत्व मौजूद होता है|

(द) जब तक सारा विश्व हमारा अपना परिवार न बन जाए, तब तक सद्भाव का प्रयास करना चाहिए|

Discursive Passage Hindi for Class 8

अपठित गद्यांश 

नगरीकरण की प्रवृत्ति सारे विश्व में काम कर रही है| नगरीकरण की यह दिशा स्पष्ट: छोटे समुदायों की समाप्ति की दिशा है| भारत में भी शहरों की जनसंख्या अभी प्रतिवर्ष पैंतीस लाख के हिसाब से बढ़ रही है| भले ही मनुष्य के पास तर्क एवं बुद्धि है और वह अपने जीवन को अपनी इच्छा के अनुसार व्यवस्थित कर सकता है| विज्ञान में ऐसा कुछ निहित नहीं है जो मनुष्य को विशाल, विकटाकार बस्तियों में अव्यवस्थित रूप से रहने के लिए बाध्य करता हूं| वर्तमान नगरोन्मुख प्रवर्ति के कुछ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारण है| वे शाश्वत नहीं है और उन्हें प्रबुद्ध मानवीय प्रयत्न से परिवर्तित किया जा सकता है| इसमें संदेह नहीं कि गांव आज जैसा है, वैसा ही यदि रहता है तो नगरीकरण की प्रवृत्ति रोकी नहीं जा सकती| लेकिन यदि मानव समाज का निर्माण छोटे प्राथमिक समुदायों के आधार पर ही करना है, तो आज के गांव के ऐसी बस्तियों के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है जो हर दृष्टि से आकर्षक होंगी और तब सामान्यत: कोई भी उन्हें छोड़ना नहीं चाहेगा|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) वर्तमान में नगरीकरण की प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है?

(ब) “भले ही मनुष्य के पास तर्क एवं बुद्धि है और वह अपने जीवन को अपनी इच्छा के अनुसार व्यवस्थित कर सकता है|” यह किस प्रकार का वाक्य है? इसकी परिभाषा भी लिखिए|

(स) ‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए|

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) वर्तमान में नगरों में भौतिक सुख सुविधा रोजगार व्यवसाय शिक्षा सुविधा आदि अनेक कारणों से नगरीकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है|

(ब) यह संयुक्त वाक्य है जिस वाक्य में एक से अधिक साधारण या मिश्र वाक्य और वह किसी संयोजक अव्यय से जुड़े हो वह संयुक्त वाक्य के लाते हैं

(स) मानवीय - मूल शब्द मानव + इय प्रत्यय

(द) शीर्षक - नगरीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति |

Apathit Gadyansh with multiple choice questions for Class 8

अपठित गद्यांश  

जातीय जीवन, उसकी संस्कृति तथा भूमिगत सीमाबद्ध परिवेश ये सब सम्मिलित रूप से राष्ट्रीयता के उपकरण होते हैं| यह समष्टि रूप से ही आवश्यक उपकरण है, व्यष्टि रूप से नहीं| राष्ट्रीयता ही राष्ट्रीय भावना की पोषक होती है| हिंदी-साहित्य-कोश में राष्ट्रीयता के संबंध में लिखा है- “राष्ट्रीय साहित्य के अंतर्गत वह समस्त साहित्य लिया जा सकता है जो किसी देश की जातीय विशेषताओं का परिचायक है| ”वैसे भूमि (देश), उस भूमि पर बसने वाले जन और उनकी संस्कृति, ये तीनों ही सम्मिलित भावना रूप में राष्ट्रीयता के परिचायक है| राष्ट्रीयता ’राष्ट्र’ शब्द से निर्मित है| इस राष्ट्रीयता शब्द का सामान्य अर्थ है राष्ट्र के प्रति निष्ठा रखने की भावना| राष्ट्रीयता नेशनलिटी का हिंदी रूप है एनसाइक्लोपीडिया में 'नेशनेलिटी' के बारे में लिखा है कि ”राष्ट्रीयता मन की वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति की सर्वोपरि कर्तव्यनिष्ठा राष्ट्र के प्रति अनुभव की जाती है| 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:- 

(अ) राष्ट्रीयता से क्या आशय लिया जाता है?

 (ब) “ये समष्टि रूप से ही आवश्यक उपकरण है, व्यष्टि रूप से नहीं|” इस वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलिए| 

(स) ‘राष्ट्रीयता’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए| 

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए| 

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:- 

(अ) भूमि, उसके निवासी और उनकी संस्कृति- इन तीनों के सम्मिलित रूप को राष्ट्रीयता कहते हैं| 

(ब) यह समष्टि रूप से ही आवश्यक उपकरण है, परंतु व्यष्टि रूप से नहीं| 

(स) राष्ट्रीयता- मूल शब्द राष्ट्र + इय व ता प्रत्यय| 

(द) शीर्षक- राष्ट्रीयता का महत्व| 

Apathit Gadyansh for Class 8 with answers pdf

अपठित गद्यांश 

भारत में विभिन्न जातियों के पारस्परिक संपर्क में आने से संस्कृति की समस्या कुछ जटिल हो गई | पुराने जमाने में द्रविड़ और आर्य- संस्कृति का समन्वय बहुत उत्तम रीती से हो गया था तत्पश्चात मुस्लिम और अंग्रेजी संस्कृतियों का मेल हुआ | हम इन संस्कृतियों से अछूते नहीं रह सकते इन संस्कृतियों में से हम कितना छोड़ेंगे हमारे सामने बड़ी समस्या है अपनी भारतीय संस्कृति को तिलांजलि देकर इनको अपनाना आत्महत्या होगी | भारतीय संस्कृति की समन्वयक शीलता यहां भी अपेक्षित है किंतु सामान्य में अपना न खो बैठना  चाहिए | दूसरी संस्कृतियों के जो अंग हमारी संस्कृति में अवरोध रूप में अपनाया जा सके उनके द्वारा अपनी संस्कृति को संपन्न बनाना आपत्तिजनक नहीं अपनी संस्कृति चाहे अच्छी हो या बुरी, चाहे दूसरों की संस्कृति से मेल खाती हो या नहीं खाती हो उचित होने की कोई बात नहीं|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) भारतीय संस्कृति की समन्वय शीलता कहां दिखाई देती है?

(ब)”इन संस्कृतियों में से हम कितना छोड़ें यह हमारे सामने बड़ी समस्या है|” यह किस प्रकार का वाक्य है?

(स)’पारस्परिक’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए ?

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए?

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) द्रविड़, मुस्लिम एवं अंग्रेजी संस्कृति के मेल- मिलाप में भारतीय संस्कृति की समन्वयशीलता दिखाई देती है|

(ब) यह (संज्ञा उपवाक्य आश्रित) मिश्र वाक्य है |

(स) पारस्परिक परस्पर मूल शब्द + +एक प्रत्याशी        

(द) भारतीय संस्कृति का महत्व

Short Apathit Gadyansh Class 8 with questions and answers

 

अपठित गद्यांश 

सृष्टि के आदि काल से नर-नारी का पारस्परिक संबंध रहा है| नारी के द्वारा ही सृष्टि का क्रम चलता है, वह पुरुष की प्रेरणा है| भारतीय संस्कृति की पावन परंपरा में नारी को सदैव सम्मानीय स्थान प्राप्त हुआ है| यज्ञादि धार्मिक आयोजनों एवं सामाजिक मांगलिक पुनीत अवसरों पर नारी की उपस्थिति अनिवार्य घोषित की गई है| हिंदू धर्मशास्त्र के प्रणेता महर्षि मनु का कथन है- “जहां नारियों को पूजा जाता है, वहां देवता गण निवास करते हैं|” मानव-जाति के विकास में नारी का पद पुरुष के पद से कहीं अधिक श्रेष्ठ है नारी प्रेम दया त्याग व श्रद्धा की प्रतिमूर्ति है और ये आदर्श मानव-जीवन की उच्चतम आदर्श है| नारी का हर रूप वंदनीय है चाहे वह मां का हो; बहिन का हो या पत्नी का; नारी की महत्ता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) भारतीय संस्कृति में नारी की महत्ता बताइए|

(ब) “नारी के द्वारा ही सृष्टि का क्रम चलता है, वह पुरुष की प्रेरणा है|” इसे संयुक्त वाक्य में बदलिए|

(स) ‘सम्मान्निये’ शब्द में मूल शब्द, उपसर्ग और प्रत्यय बताइए|

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) भारतीय संस्कृति में नारी को प्रेम, दया, त्याग व श्रद्धा की प्रतिमूर्ति माना गया है| नारी का मां, बहन या पत्नी रूप सदा वंदनीय है|

(ब) नारी के द्वारा ही सृष्टि का क्रम चलता है और वह पुरुष की प्रेरणा है|

(स) सम्मानीय- सम उपसर्ग + मान मूल शब्द + अनिय प्रत्यय

(द) शीर्षक- भारतीय संस्कृति में नारी

Case based factual Passage for Class 8

अपठित गद्यांश 

उत्साह की गिनती अच्छे गुणों में होती है| परंतु जब तक आनंद का लाभ और किसी क्रिया व्यापार या उसकी भावना के साथ नहीं दिखाई पड़ता तब तक उसे ’उत्साह’ की संज्ञा प्राप्त नहीं होती| यदि किसी प्रिय मित्र के आने का समाचार प्राप्त कर हम चुपचाप ज्यों के त्यों आनंदित होकर बैठे रह जाएंगे या थोड़ा हंस भी दें तो यह हमारा उत्साह नहीं कहा जाएगा जब हम अपने मित्र का आगमन सुनते ही उठ खड़े होंगे| उससे मिलने के लिए दौड़ पड़ंगे और उसके ठहरने आदि के प्रबंध में प्रसन्न- मुख इधर-उधर आते-जाते दिखाई देंगे| प्रयत्न और कर्म-संकल्प उत्साह नामक आनंद के लिए नित्य लक्षण हैं| प्रत्येक कर्म में थोड़ा या बहुत बुद्धि का योग भी रहता है| कुछ कर्मों में तो बुद्धि की तत्परता और शरीर की तत्परता दोनों बराबर साथ-साथ चलती है| उत्साह की उमंग इस प्रकार हाथ-पैर चलवाती है उसी प्रकार बुद्धि से भी काम कराती है|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) उत्साह की संज्ञा किसे नहीं दी जाती है|

(ब)”उत्साह की उमंग जिस प्रकार हाथ-पैर चलवाती है, उसी प्रकार बुद्धि से भी काम कराती है|”  से संयुक्त वाक्य में बदलिए|

(स) आनंद शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) क्रिया या उसकी भावना के साथ जब तक में कर्मनिष्ठा का आनंद नहीं दिखाई पड़ता है, तब तक उसे उत्साह की संज्ञा नहीं दी जाती है|

(ब) उत्साह की उमंग हाथ-पैर चलाती है तथा उसी प्रकार वह बुद्धि से भी काम करवाती है|

(स) आनंदित- आनंद मूल शब्द + इत प्रत्यय|

(द) शीर्षक- उत्साह का स्वरूप

Apathit Gadyansh for Class 8 with answers

 

अपठित गद्यांश

तुलसी हमारे जातीय जन जागरण के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं| उनकी कविता की आधारशिला जनता की एकता है| मिथिला से लेकर अवध और ब्रज तक चार सो साल से तुलसी की सरस वाणी नगरों और गांवों में गूंजती है| साम्राज्यवादी, सामंती अवशेष और बड़े पूंजीपतियों के शोषण से हिंदी-भाषी जनता को मुक्त करके उसकी जातीय संस्कृति को विकसित करना है| हमारे जातीय संगठन के मार्ग में सांप्रदायिकता, ऊंच--नीच के भेद-भाव, नारी के प्रति सामंती शासक का रुख आदि अनेक बाधाएं है| तुलसी का साहित्य में इनसे संघर्ष करना सिखाता है| तुलसी का मूल संदेश है, मानव प्रेम मानव प्रेम को सक्रिय रुप देना, सहानुभूति को व्यवहार में परिणत करके जनता के मुक्ति-संघर्ष में योग देना हमारा कर्तव्य है|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) तुलसी साहित्य से हमें क्या शिक्षा लेनी चाहिए?

(ब) ”तुलसी का साहित्य हमें इनसे संघर्ष करना सिखाता है|” यह किस प्रकार का वाक्य है? परिभाषा लिखिए|

(स) ’सांप्रदायिकता’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए|

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) तुलसी-साहित्य से हमें सामाजिक समन्वय, मानव-प्रेम एवं उच्च विचारों की शिक्षा लेनी चाहिए|

(ब) यह साधारण वाक्य है| जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, वह साधारण वाक्य कहलाता है|

(स) सांप्रदायिकता संप्रदाय मूल शब्द व ता प्रत्यय

(द) शीर्षक- तुलसी-साहित्य का महत्व|

Class 8 Solved Apathit Gadyansh

अपठित गद्यांश 

गांधीजी के अनुसार शिक्षा शरीर, मस्तिष्क और आत्मा का विकास करने का माध्यम है| वे ’बुनियादी शिक्षा’ के पक्षधर थे| उनके अनुसार प्रत्येक बच्चे को अपनी मातृभाषा की नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए जो उसके आस-पास की जिंदगी पर आधारित हो; हस्तकला एवं काम के जरिए दी जाए; रोजगार दिलाने के लिए बच्चे को आत्मनिर्भर बनाए तथा नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करने वाली हो| गांधीजी के उक्त विचारों से स्पष्ट है कि वे व्यक्ति और समाज के संपूर्ण जीवन पर अपनी मौलिक दृष्टि रखते थे तथा उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों में भाग लेकर भारतीय समाज एवं राजनीति में इन मूल्यों को स्थापित करने की कोशिश की| गांधीजी की सारी सोच भारतीय परंपरा की सोच है तथा उनके दिखाए मार्ग को अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति और संपूर्ण राष्ट्र वास्तविक स्वतंत्रता, सामाजिक सद्भाव एवं सामुदायिक विकास को प्राप्त कर सकता है| भारतीय समाज जब--जब भटकेगा तब--तब गांधीजी उसका मार्ग दर्शन करने में सक्षम रहेंगे|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) गांधीजी के अनुसार प्रत्येक बच्चे को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए|

(ब) ’गांधीजी के उक्त विचारों से स्पष्ट है कि व्यक्ति और समाज के संपूर्ण जीवन पर अपनी मौलिक दृष्टि रखते थे’ यह किस प्रकार का वाक्य है, बताते हुए परिभाषा भी लिखे|

(स) सामाजिक शब्द में मूल शब्द व प्रत्यय बताइए|

(द) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) गांधीजी के अनुसार प्रत्येक बच्चे को शरीर, मस्तिष्क और आत्मा का विकास करने वाली, अर्थात बुनियादी शिक्षा दी जानी चाहिए|

(ब) यह मिश्र वाक्य है| इसमें ’गांधीजी के विचारों से स्पष्ट है’ मुख्य उपवाक्य है तथा उस  पर आश्रित’ वे व्यक्ति और समाज….. रखते थे’ संज्ञा उपवाक्य है, जो ‘कि’ अव्यय से जुड़ा हुआ है|

(स) सामाजिक- समाज (मूल शब्द) + इक (प्रत्यय)

(द) शीर्षक - भारतीय समाज को गांधीजी का मार्गदर्शन,

अथवा - गांधी जी के मौलिक विचार

Case based Apathit Gadyansh for Class 8

अपठित गद्यांश 

मनुष्य का जीवन इतना  विशाल है कि उसके आचरण को रूप देने के लिए नाना प्रकार के उच्च- नीच और भले- बुरे विचार, अमीरी और गरीबी, उन्नति और अवनति इत्यादि सहायता पहुंचाते हैं| पवित्र - अपवित्रता उतनी ही बलवती है, जितनी कि पवित्र पवित्रता | जो कुछ जगत में हो रहा है वह केवल आचरण के विकास के अर्थ हो रहा है | अंतरात्मा वही काम करती है जो ब्रह्मा पदार्थों के संयोग का प्रतिबिंब होता है जिनको हम पवित्र आत्मा कहते हैं, क्या पता हैं, किन-किन कूपो से निकलकर वे अब उदय को प्राप्त हुए हैं! जिनको हम धर्मात्मा कहते हैं, क्या पता है, किन-किन अधर्मो को करके वे धर्म- ज्ञान को पा सके हैं जिनको हम सभ्य कहते हैं, क्या पता कि वह पहले कितना अपवित्र आचरण करते रहे हो |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) जीवन को पवित्र आचरण में डालने के लिए क्या करना पड़ता है?

(ब) “जो कुछ जगत में हो रहा है, वह आचरण के विकास के अर्थ हो रहा है|” यह किस प्रकार का वाक्य है? परिभाषा भी लिखिए |

(स) ‘पवित्रता’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ)  इसके लिए व्यक्ति को नाना प्रकार के उच्च- नीच और अच्छे- बुरे कार्यों का अनुभव लेना पड़ता है|

(ब) यह मिश्र वाक्य है| जिस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य और उसके आश्रित एक या एक से अधिक उपवाक्य होते हैं, वह मिश्र वाक्य कहलाता है|

(स) पवित्रता- मूल शब्द पवित्र + ता प्रत्यय

(द) शीर्षक- आचरण की पवित्रता

Solved Apathit Gadyanshs for Class 8

अपठित गद्यांश 

जब हम भारतीय साहित्य की एकता की चर्चा करते हैं तब हमारा आशय भारतवर्ष की भिन्न--भिन्न भाषाओं की साहित्य समाश्रयता से होता है| यदि हम आज की हिंदी, बंगला, मराठी, गुजराती अथवा दक्षिणी भाषाओं के साहित्य को देखें, तो उनमे थोड़ा-बहुत अंतर ही दिखेगा| परंतु सार रूप में प्रवर्तीया प्राय: एक-सी ही पाई जाती है| विभिन्न प्रदेशों और जनपदों की सांस्कृतिक विशेषताओं की छाप इन साहित्य में प्राप्त होती है, जो स्वभाविक है| साहित्य के विविध रूपों में से किसी भाषा में किसी रूप की विशेषता भी मिलती है| उदाहरण के लिए आज के मराठी साहित्य में नाटकों की स्थिति अपेक्षाकृत अधिक अच्छी है व्यक्तित्व निबंध भी उनके यहां अधिक पर है परिणाम में लिखे जा रहे हैं| यह उनकी प्रासंगिक विशेषता है| इसी प्रकार वैभिन्य के भीतर एक मूलभूत एकता है, जिसे हर भारतीय साहित्य की एकता कह सकते हैं|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) भारतीय साहित्य की एकता का विस्तृत हास्य क्या है|

(ब) “यह उनकी प्रासंगिक विशेषता है” यह किस प्रकार का वाक्य है|

(स) शाम सम आफ श्वेता शब्द में मूल शब्द उपसर्ग एवं प्रत्यय बताइए|

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) भारतीय साहित्य की एकता का आश्य यहां की विभिन्न भाषाओं के साहित्य की एकता एवं उन में प्रचलित सामान प्रवृत्तियों से है|

(ब) “यह उनकी प्रासंगिक विशेषता है” यह साधारण वाक्य है|

(स) समाश्रयता - सम + आ उपसर्ग + श्रय शब्द + ता प्रत्यय|

(द) शीर्षक - भारतीय साहित्य की एकता|

Comprehension Passages Hindi for Class 8

अपठित गद्यांश 

मानव जीवन का सर्वोत्तम की विकास ही शिक्षा का उद्देश्य है मनुष्य के व्यक्तित्व में अनेक प्रकार की शक्तियां अन्तनिर्हित रहती है| शिक्षा इन्हीं शक्तियों का उद्घाटन करती है| मानवीय व्यक्तित्व को पूर्णता प्रदान करने का कार्य शिक्षा द्वारा ही संपन्न होता है सृष्टि के प्रारंभ में लेकर आज तक मानव ने जो प्रगति की है उसका सर्वाधिक श्रेय मनुष्य के ज्ञान चेतना को ही दिया जा सकता है मनुष्य में ज्ञान चेतना का उदय शिक्षा द्वारा ही होता है| बिना शिक्षा के मनुष्य का जीवन पशु तुल्य होता है शिक्षा ही अज्ञान रूपी अंधकार से मुक्ति दिलाकर ज्ञान का दिव्य आलोक प्रदान करती है विद्या मनुष्य को अज्ञान के बंधन से मुक्त करती है|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) शिक्षा का उद्देश्य किसे बताया गया है और क्यों?

(ब) “विद्या मनुष्य को अज्ञान के बंधन से मुक्त करती है |” यह किस प्रकार का वाक्य है? प्रकार बताते हुए परिभाषा भी लिखे |

(स) ’मानवीय’ शब्द में मूल शब्द व प्रत्यय बताइए |

(द) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) शिक्षा का उद्देश्य मानव जीवन का सर्वोत्तमुखी विकास बताया गया है, क्योंकि इसके मानवी व्यक्तित्व में अनेक शक्तियों का उद्घाटन होता है |

(ब) यह साधारण वाक्य है| जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय  होता है, वह साधारण वाक्य माना जाता है |

(स) मानवीय- मानव मूल शब्द + प्रत्यय |

(द) शीर्षक - शिक्षा का उद्देश्य | 

 

Apathit Gadyansh for Class 8

अपठित गद्यांश 

आज देश स्वतंत्र है| हमें अपनी शक्ति की वृद्धि करनी है, जिससे हमारी स्वतंत्रता की रक्षा हो सके| आए दिन ऐसे संकट हमें चुनौती देते रहते हैं, जिनसे निपटने के लिए एक शक्तिशाली सेना की आवश्यकता है| यदि विद्यालयो में ही देश सेवा की है भावना द्रढ़ हो जाए तो भविष्य के लिए बड़ी तैयारी हो सकेगी| प्राचीन काल में आश्रमों में वेद-शास्त्रों के साथ--साथ अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी जाती थी| सैनिक शिक्षा से शारीरिक शक्ति के साथ मानवीय गुणों का विकास होता है| सेवा, तत्परता, परिश्रमशीलता एवं निर्भयता आदि गुण इस दशा में अपने आप आ जाते हैं|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-  

(अ) हमें अपनी शक्ति की वृद्धि क्यों करनी चाहिए?

(ब) “आज देश स्वतंत्र है” यह किस प्रकार का वाक्य है?

(स) ‘शारीरिक’ शब्द में मूल शब्द का प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) अपने देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमें अपनी शक्ति की वृद्धि करनी चाहिए| बाहरी एवं भीतरी शत्रुओ के दमन के लिए भी यह जरूरी है |

(ब) “आज देश स्वतंत्र है” यह साधारण वाक्य है |

(स) शारीरिक - मूल शब्द शरीर + प्रत्यय इक |

(द) शीर्षक - सैनिक शक्ति का महत्व या सैनिक शिक्षा की आवश्यकता

Case based factual Passage for Class 8

 अपठित गद्यांश 

भीष्म कभी बचपन में पिता की गलत आकांक्षाओं की तृप्ति के लिए भीषण प्रतिज्ञा की थी- वह आजीवन विवाह नहीं करेंगे अर्थात इस संभावना को ही नष्ट कर देंगे कि उनके पुत्र होगा और वह या उसकी संतान कुरु वंश के सिंहासन पर दावा करेगी | प्रतिज्ञा सचमुच भीषण थी | कहते हैं कि इस भीषण प्रतिज्ञा के कारण ही वह देवव्रत से ’भीष्म’ बने | यद्यपि चित्रवीर्य और विचित्रवीर्य तक तो कौरव रक्त रह गया था तथापि बाद में वास्तविक कौरव रक्त समाप्त हो गया, केवल कानूनी कौरव वंश चलता रहा| जीवन के अंतिम दिनों में इतिहास मर्मज्ञ भीष्म को यह बात क्या खाली नहीं होगी? उन्हें अगर यह बात नहीं खली तो और भी बुरा हुआ | पर बीच में अपनी प्रतिज्ञा के शब्दों से चिपटे ही रहे |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ) भीष्म ने विवाह न करने की प्रतिज्ञा क्यों की थी?

(ब)”यद्यपि चित्रवीर्य और विचित्रवीर्य तक तो कौरव रक्त रह गया था तथापि बाद में वास्तविक कौरव रक्त समाप्त हो गया”| इसे साधन वाक्य में लिखिए?

(स) वास्तविक शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |”

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए | 

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) भीष्म ने अपने पिता महाराज शांतनु की गलत आकांक्षाओं की तृप्ति के लिए आजीवन विवाह न करने की प्रतिज्ञा की थी|

(ब) चित्रवीर्य और विचित्रवीर्य तक कौरव रक्त रहने के बाद वास्तविक और कौरव रक्त समाप्त हो गया|

(स) वास्तविक वास्तव मूल शब्द और प्रत्यय

(द) शीर्षक- भीष्म की भीषण प्रतिज्ञा

Apathit Gadyansh for Class 8 with answers
 

अपठित गद्यांश 

भारतवर्ष बहुत बड़ा देश है| इसका इतिहास बहुत पुराना है| इस इतिहास का जितना अंश जाना जा सकता है, उसकी अपेक्षा जितना नहीं जाना जा सकता, वह और भी पुराना और महत्वपूर्ण है| ना जाने किस अज्ञात काल | से  नाना जातियां आ-आकर इस देश में बस्ती रही है और इसकी साधना को नाना भाव से मोड़ती   रही है नया रूपी देती रही है और समृद्ध  करती रही है|  इस देश का सबसे पुराना उपलब्ध साहित्य आर्यों का है इन्हीं आर्यों के धर्म और विश्वास नाना अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों से बनते- बदलते अब तक इस देश की अधिकांश जनता के निजी धर्म और विश्वास बने हुए हैं परंतु आर्यों का साहित्य कितना भी पुराना और विशाल कहना हो भारतवर्ष के समुचित जनसमूह के विकास के अध्ययन के लिए मैं तो पर्याप्त ही है   समृद्ध और न ातिसंवादी  ही|

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

(अ)आर्यों का साहित्य किसके लिए पर्याप्त नहीं है?

(ब) “नाना जातियां आ-आकर देश में बस्ती रही है|” इस वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलिए|

(स) ’अतिसंवाद’ शब्द में मूल शब्द, प्रत्यय और उपसर्ग बताइए

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) आर्यों के प्राचीन साहित्य में समूची जनता की निजी भावनाओं, 
धर्म एवं विश्वास का पूरा समावेश में होने से वह अध्ययन के लिए पर्याप्त नहीं है|

(ब) नाना जातियां आती रही और इस देश में बस्ती रही है|

(स) अतिसंवाद अति +++++++ सम उपसर्ग + मूल शब्द

(द) शीर्षक-आर्यों के साहित्य की न्यूनता

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