Unseen Passage for Class 7 Hindi Apathit Gadyansh Solved

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Class 7 Hindi Apathit Gadyansh Unseen Passage

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Apathit Gadyansh for Class 7

अपठित गद्यांश 

वायु प्रदुषण का सबसे अधिक प्रकोप महानगरों पर हुआ है| इस का कारण है, बढ़ता हुआ औद्योगीकरण| गत बीस वर्षो  में भारत के प्रत्येक नगरों में कारखानों की जितनी तेज़ी से वृद्धि हुई है, उससे वायु मंडल पर बहुत प्रभाव पड़ा है| क्योकि इन कारखानों में चिमनियों से चौबीसो घंटे निकलने वाला धुएं ने  सारे वातावरण को विषाक्त बना दिया है| इस के अलावा सड़को  पर चलने वाले वाहनों की संख्या में तेज़ी से होने वाली वृद्धि भी वायु-प्रदूषण के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है| इन वाहनों के धुएं से निकलने वाली 'कार्बन मनो ऑक्साइड गैस' के कारण आज न जाने कितने प्रकार की साँस और फेफड़ो की बीमारियाँ आम बात हो गई है| इधर बढ़ती हुई जनसँख्या, लोगों का काम की तलाश में गाँवों से शहरो की ओर भागना भी वायु- प्रदूषण के लिए अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी है | शहरो की बढ़ती जनसंख्या के लिए आवास की सुविधाएँ उपलब्ध करने क लिए वृक्षों ओर वनों को भी निरंतर काटा जा रहा है | वायु- प्रदूषण को बचाने वाले कारणों की हमें खोज करनी चाहिए | पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अधिक- से - अधिक वृक्ष लगाने चाहिए |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रकोप महानगरों पर ही क्यों हुआ ?

(ब) वाहन वायु - प्रदूषण में किस प्रकार वृद्धि करते हैं ?

(स) पर्यावरण की रक्षा के लिए क्या किया जाना चाहिए ?

(द) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक हैं|

         

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रकोप महानगरों पर औदयोगीकरण के कारण हुआ हैं |

(ब) वाहन कार्बन मोनोऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ाकर वायु - प्रदूषण में वृद्धि करते हैं |

(स) पर्यावरण की रक्षा के लिए बचाव के उपाय सोचे जाने चाहिए |

(द) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक वायु- प्रदूषण के कारण ओर निवारण हैं |

Apathit Gadyansh with multiple choice questions for Class 7

अपठित गद्यांश

संसार की प्रत्येक वस्तु परिवर्तनशील है | क्षण घंटो में, घंटे दिनों में सप्ताह में, सप्ताह मास में और मास वर्षों में परिवर्तित होते रहते हैं | इस प्रकार संसार सागर की लहरें मानवता के बेड़े को निरंतर आगे बढ़ आती रहती है और कालांतर में एक प्राचीन और नवीन सभ्यता और संस्कृति का अवसान  और आरंभ होता हुआ दिखाई देता है | कुछ वस्तुओं में परिवर्तन इतना जल्दी होता है कि हमें प्रत्येक जान पड़ता है कुछ में अंतर इतना धीरे कि हमें प्रत्यक्ष रूप में दिखाई नहीं देता है | उद्यान में विकसित कुछ पुष्प इतनी जल्दी प्रफुल्लित होते हैं, कुम्हला जाते हैं और अंत में पंखुड़ियां गिरने लगती है कि इसका अनुभव कालांतर में होता है | इस प्रकार प्रतिक्षण प्रत्येक वस्तु में परिवर्तन होता रहता है | यही भारतीय क्षणवाद का ध्रुव सिद्धांत है | कवी की दृष्टि में यह परिवर्तन ही जीवन है | अस्थिरता और परिवर्तन ही जीवन का प्रतीक है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) संसार में परिवर्तन शीलता किस तरह प्रतीत होती है?

(ब)  “पुष्प इतनी जल्दी कुम्हला जाते हैं और अंत में पंखुड़ियां गिरने लगती है|” यह किस प्रकार का वाक्य है|

(स)  ‘अस्थिरता’ शब्द में मूल शब्द और उपसर्ग बताइए|

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-   

(अ) संसार में परिवर्तनशीलता समय की गति तथा जीवन का प्रकृति के विकास से प्रतीत होती है

(ब) यह संयुक्त वाक्य है

(स) अस्थिरता- अ उपसर्ग और  ‘स्थिर’- मूल शब्द |

(द) शीर्षक परिवर्तनशील संसार ऐहिक|

Short Apathit Gadyansh Class 7 with questions and answers
 

अपठित गद्यांश  

वर्तमान काल में ज्ञान विज्ञान और स्त्री शिक्षा का प्रसार होने से नारियां शोषण उत्पीड़न के विरुद्ध जागृत हो गई है | अब पढ़ी - लिखी नारी अपने पैरों पर खड़ी होकर पुरुष के समान सभी कार्यों में दक्षता दिखा रही है | अब समान अधिकारों की परंपरा चलने लगी है | शहरी क्षेत्रों में नारी पर्दा प्रथा तब विकृत रूढ़ियों से मुक्त हो गई है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सामाजिक कुरीतियां प्रचलित है | संविधान में प्रदत्त अधिकारों के अनुसार जन जागरण हो रहा है तथा नारी समाज की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल रहा है | फिर भी इस दिशा में अभी तक कुछ कमियां दूर नहीं हुई है, क्योंकि आज भी दहेज के कारण नववधू के द्वारा आत्महत्या करने के समाचार सुनने में आते हैं | नारियों के साथ मारपीट एवं शोषण अभी भी चल रहा है यह समाज के लिए चिंतनीय विषय है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) वर्तमान में समाज के लिए चिंता का विषय क्या है ?

(ब) ‘नारियां अपने पैरों पर खड़ी होकर पुरुष के समान सभी कार्यों में दक्षता दिखा रही है|’ इसे संयुक्त वाक्य में बदलिए |

(स) ‘प्रचलित’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-   

(अ) वर्तमान में नारियों के साथ मारपीट, शोषण - उत्पीड़न एवं असमानता का व्यवहार चिंतनीय विषय है |

(ब) नारियां अपने पैरों पर खड़ी हो रही है और पुरुष के समान सभी कार्यों में दक्षता से कर रही है|

(स) प्रचलित- ‘प्र’ उपसर्ग + ‘चल’ मूल शब्द |

(द) शीर्षक- नारी सुरक्षा एवं सशक्तिकरण |

Apathit Gadyansh for Class 7 with answers

अपठित गद्यांश 

आधुनिक युग विज्ञान युग के नाम से जाना जाता है | आज विज्ञान की विजय - पताका धरती से लेकर आकाश तक फहरा रही है | सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार-प्रसार है | मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा प्रकृति को जीत लिया है | आज मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा विद्युत वाष्प, गैस, ईंधन को खोजकर विजय पताका फहरा कर सारे संसार में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है | किंतु विज्ञान के कारण आधुनिक युयुत्सा ने भी प्रबल रूप धारण कर लिया है | विज्ञान - वेताओं ने जहां मनुष्य को अनेक भौतिक सुविधा प्रदान की है वहीं दूसरी और उसके लिए विध्वंस के पर्याप्त साधन भी एकत्रित कर लिए हैं | एटम बम, हाइड्रोजन बम आदि के निर्माण से हम भयभीत होकर विधाता से विश्व शांति के लिए प्रार्थना करने लगे हैं |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) विज्ञान से मनुष्य को वह क्यों लगने लगा है |

(ब) “सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार-प्रसार है |” यह किस प्रकार का वाक्य है?

(स) ‘आधुनिक’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-   

(अ) विध्वंस के अनेक साधनों की वृद्धि, युद्धोन्माद एवं अशांति - प्रसार के कारण विज्ञान से वह लगने लगा है|

(ब) यह साधारण वाक्य है

(स) आधुनिक- अधुना मूल शब्द और इक प्रत्यय

(द) शीर्षक विज्ञान से लाभ हानी वास्तु||||

Apathit Gadyansh for Class 7 with questions and answers pdf
 

अपठित गद्यांश 

आज हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता राष्ट्रीय चरित्र का पुनर्मूल्यांकन है | भारत नारों और बिल्लो पर नहीं रह सकता, उसे जीने के लिए ठोस आधार चाहिए | यह ठोस आधार युवा पीढ़ी को अनुप्राणित किए बिना, राष्ट्र की आत्मा को जगाए बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता | विदेशी मुद्रा विदेशी मशीन या विदेशी पूंजी के आयात से त्याग परिश्रम और अनुशासन के भाव की पूर्ति नहीं की जा सकती, आत्मविश्वास और राष्ट्रीय चरित्र नहीं गढ़ा जा सकता | स्वतंत्रता के पश्चात हम जिस तेजी से आसानी की ओर भागे उसी कारण आज हमारी कठिनाइयों में वृद्धि हुई है | समस्याओं की चुनौती स्वीकार ने करके हम उनका विकल्प खोजने में लगे रहे हैं | आज आवश्यकता एक मनस्वी, राष्ट्रप्रेमी, स्वाबलंबी और अनुशासित राष्ट्रीय - चरित्र के विकास की है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) राष्ट्रीय जागरण के लिए क्या करना जरूरी है |

(ब) स्वतंत्रता के पश्चात हम जिस तेजी से आसानी की ओर भागे उसी कारण आज हमारी कठिनाइयों में वृद्धि हुई है | इस वाक्य को सरल वाक्य में बदलिए

(स) ‘स्वाबलंबी’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-   

(अ) राष्ट्रीय जागरण के लिए युवा पीढ़ी में त्याग, बलिदान, अनुशासन, परिश्रम के साथ आत्मविश्वास की भावना के प्रसार जरूरी है |

(ब) स्वतंत्रता के पश्चात तेजी से आसानी की ओर भागने से हमारी कठिनाइयों की वृद्धि हुई है |

(स) स्वाबलंबी -  स्वावलम्ब मूल शब्द + ई प्रत्यय |

(द) शीर्षक- राष्ट्रीय चरित्र का विकास |

Apathit Gadyansh for Class 7 with questions and answers
 

अपठित गद्यांश 

किसी देश - भक्त कवि का उद्घोष है, “हृदय नहीं वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं |” स्पष्ट है कि स्वदेश - प्रेम ऐसा पवित्र भाव है जिसकी व्यंजना देश - भक्तों के चरित्र में उत्कट रूप में होती है | देखा जाए तो स्वदेश – प्रेम मनुष्य का न केवल स्वाभाविक गुण है, अपितु वह एक प्राथमिक कर्तव्य भी है | इस कर्तव्य की पूर्ति देश के लिए अपना तन, मन, धन सभी समर्पित करने पर भी नहीं होती है | महान - से - महान त्याग करके भी व्यक्ति जननी और जन्मभूमि के ऋण से उऋण नहीं हो सकता; क्योंकि व्यक्ति को जो सर्वस्व प्राप्त होता है, जननी एवं जन्मभूमि भूमि द्वारा ही उसे प्रदत्त है | उसका प्रतिदान करके मनुष्य देश के प्रति समर्पित रहने की भावना व्यक्त करता है | देश - भक्ति के लिए वस्तुतः यह समर्पण- भाव महत्वपूर्ण है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) स्वदेश - प्रेम की उत्कट व्यंजना किनके द्वारा होती है|

(ब) किसी देश - भक्त कवि का उद्घोष है, “हृदय नहीं वह पत्थर है”- इसे मिश्र वाक्य में बदलिए |

(स) ‘समर्पित’ शब्द में उपसर्ग, मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) देश - प्रेम की उत्कट व्यंजना देश - भक्तों के चरित्र से, उनके द्वारा तन- मन- धन से, सर्वस्व समर्पण भाव से होती है |

(ब) किसी देश- भक्त कवि का उद्घोष है कि “वह हृदय नहीं पत्थर है|”

(स) समर्पित- सम उपसर्ग, मूल शब्द- अर्पण और इत प्रत्यय है|

(द) शीर्षक- स्वदेश- प्रेम का महत्व |

Apathit Gadyansh with questions and answers for Class 7

अपठित गद्यांश

कुछ लोग धर्म और संस्कृति के नाम पर समाजवाद का विरोध करते हैं | यदि सच कहा जाए तो ऐसे लोग धर्म और संस्कृति को एक संकीर्ण अर्थ में लेते हैं | हमारी प्राचीन संस्कृति में दोनों तरह की बातें थी | एक और जनता - जनार्दन की सेवा का नारा था, तो दूसरी और राजाओं और बड़े लोगों को दैवी अंश से उत्पन्न माना जाता था, पर सच बात तो यह है कि सभी लोग दैवी अंश से उत्पन्न हैं | सबको जीवित रहने और जीवन - विकास करने का समान अधिकार है | हमारी प्राचीन संस्कृति की सभी बातें में अच्छी है और नए सब बुरी ही | इसी प्रकार हमारे लिए आजकल की भी सभी बातें में अच्छी है और न सब बुरी | अतः प्राचीनता और आधुनिकता का समन्वित रूप ही समाज के लिए श्रेयस्कर है | हमारी संस्कृति बड़ी विशाल और उदार है | उसमें विश्व - कल्याण की उच्च भावना निहित है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) समाजवाद का विरोध कौन करते हैं?

(ब) “सच बात तो यह है कि सभी लोग दैवी आदि से उत्पन्न है|” यह किस प्रकार का वाक्य है?

(स) ‘दैवी’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-   

(अ) जो धर्म और संस्कृति का संकुचित अर्थ लेकर ऊंच - नीच का भेद रखते हैं, वे समाजवाद का विरोध करते हैं |

(ब) यह मिश्र वाक्य है |

(स) दैवी- देव मूल शब्द ई प्रत्यय

(द) शीर्षक - प्राचीनता एवं आधुनिकता में समन्वय|

Apathit Gadyansh for Class 7 pdf with answers
 

अपठित गद्यांश 

सूचना का अधिकार दिए जाने से अधिक महत्व का कार्य इस अधिकार को प्राप्त करने एवं उपयोग करने जनजागृति फैलाने का है जिसकी आज सबसे अधिक आवश्यकता है | लोकतंत्र लोक - सहभागिता से मजबूत होता है, लोक - सहभागिता सूचना के अधिकार का सवाल खड़ा करने और उसको प्राप्त करने तथा प्रसारित करने से बढ़ती है | यदि हम सूचना के अधिकार का समुचित उपयोग कर सके तो न केवल सरकारी स्तर की योजनाओं का समुचित उपयोग हो सकेगा बल्कि प्रशासन में पारदर्शिता भी आ सकेगी जिससे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा | वस्तुतः सूचना का अधिकार लोकतांत्रिक विकास प्रक्रिया को समृद्ध और स्वच्छ करने का कारगर हथियार है | यह संवैधानिक कर्तव्यों के पालन हेतु महत्वपूर्ण निर्देशक तत्व है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) सूचना के अधिकार का उपयोग करने से क्या लाभ है?

(ब) “प्रशासन में पारदर्शिता भी आ सकेगी, जिससे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा |” यह किस प्रकार का वाक्य है?

(स) ‘सहभगिता’ शब्द में मूल शब्द एवं उपसर्ग बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-   

(अ) इससे जन - जाग्रति फैलेगी, लोकतंत्र में जनता का विश्वास बढ़ेगा, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रहेगा और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी|

(ब) यह मिश्र वाक्य है अर्थात विशेषण उपवाक्य पर आश्रित उपवाक्य है

(स) सहभागिता- सह उपसर्ग + भाग मूल शब्द

(द) शीर्षक- सूचना के अधिकार का महत्व|

Comprehension Passages Hindi for Class 7

अपठित गद्यांश 

समय वह संपत्ति है जो प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की ओर से मिली है | जो लोग इस धन को संचित रीती से बरतते हैं वे शारीरिक सुख तथा आत्मिक आनंद प्राप्त करते हैं | इसी समय - संपत्ति के सदुपयोग से एक जंगली मनुष्य देवता - स्वरुप बन जाता है | इसी के द्वारा मूर्ख विद्वान निर्धन धनवान और अनुभवी बन सकता है | संतोष, हर्ष या सुख तब तक मनुष्य को प्राप्त नहीं होता जब तक कि वह उचित तरीके से अथवा रीती के समय का सदुपयोग नहीं करता है | समय निसंदेह एक रत्न - राशि है | जो कोई उसे अपरिमित और अगणित रूप से अंधाधुंध व्यय करता है वह दिन दिन अकिंचन रिक्त हस्त और दरिद्र होता है | वह आजीवन खिन्न और समय को कोसता रहता है | सच तो यह है कि समय का सदुपयोग करना आत्मोन्नति तथा उसे नष्ट करना की आत्महत्या है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) समय का सदुपयोग करने से क्या लाभ रहता है? बताइए|

(ब) “समय वह संपत्ति है, जो प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की ओर से मिली है|” इस वाक्य को साधारण वाक्य में बदलिए|

(स) ‘अगणित’ शब्द में मूल शब्द और उपसर्ग बताइए |  

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-   

(अ) समय का सदुपयोग करने से मूर्ख, निर्धन और कमजोर व्यक्ति को भी विद्या धन एवं आनंद- लाभ मिलता है|

(ब) समय - संपत्ति प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की ओर से मिली है |

(स) अगणित- अ उपसर्ग + गणित मूलशब्द है |

(द) शीर्षक- समय का सदुपयोग|

Solved Apathit Gadyanshs for Class 7

अपठित गद्यांश 

स्वतंत्रता का मर्म समता है | विषमता से स्वतंत्रता भंग हो जाती है | ब्रह्मारूपों की क्षमता चाहे संभव न हो, किंतु आंतरिक भाव की समता स्वतंत्रता का आधार है | सभ्यता और संस्कृति के वृक्ष और लताये भी समता के मार्ग में ही शोभित होती है | समता का मूल तत्व यही है कि ब्रह्म विषमता होते हुए भी मनुष्य की दृष्टि में सब समान है | मनुष्यता के भावों का संबंध ब्रह्म - विषमताओं से संकुचित नहीं होता | मनुष्यता की दृष्टि से कोई भी मनुष्य ने किसी से निकृष्ट है और ने उत्कृष्ट या श्रेष्ठ है | हर कोई सामान है, समत्व भाव से परिवेष्टि है| अतएव मानवीय और नैतिक गुणों का उत्कर्ष भी इस मानवीय समता को खंडित नहीं कर सकता | नवीनता, सक्रियता, स्वतंत्रता आदि के अतिरिक्त समता मानवीय उल्लास का मूल स्त्रोत है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) समता का मूल तत्व क्या माना जाता है?

(ब) “समता का मूल तत्व यही है कि ब्रह्म विषमता होते हुए भी मनुष्य की दृष्टि में सब समान है|” यह वाक्य किस प्रकार का है?

(स) ‘उल्लास’ शब्द में मूल शब्द और उपसर्ग बताइए|

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-  

(अ) समता का मूल तत्व है बाहरी विषमता होते हुए भी भावनात्मक स्तर पर सभी मनुष्य को समान समझना, अर्थात आंतरिक भागों की क्षमता रखना |

(ब) ‘कि’ संयोजक द्वारा दो उपवाक्ये को जोड़ने से यह मिश्र वाक्य है |

(स) उल्लास- उत् उपसर्ग + लस धातु |

(द) शीर्षक- क्षमता का महत |

 

Apathit Gadyansh for Class 7 with answers

अपठित गद्यांश 

मनुष्य यंत्र मात्र नहीं है कि जिसके सब कलपुर्जे खोलकर ठीक कर लिए जाएंगे और तेल या ग्रीस लगाकर पुनः चालू कर लिया जाएगा | प्रत्येक मनुष्य विशेष परिस्थितियों में विशेष संस्कारों के साथ उत्पन्न होता है | इन परिस्थितियों और संस्कारों में कुछ अनुकूल हो सकते हैं और कुछ प्रतिकूल | शिक्षण - संस्थाएं ऐसे कारखाने हैं जहां विषय और प्रभावों का परिमार्जन, सामंजस्य और मानव का विस्तार होता है | दूसरे शब्दों में, यहाँ मनुष्य की बुद्धि और हृदय खराद पर चढ़ते हैं और तब नए-नए रूप में समाज के सम्मुख आते हैं | किसी सुंदर स्वप्न, आदर्श या अनुभूति को दूसरे को देना आसान नहीं होता | यह आदान-प्रदान देने और आने वाले दोनों को धन्य कर देता है | हमारी शिक्षा चाहे वह प्राथमिक हो, चाहे उच्च, उसने मनुष्य की संभावनाओं की और कभी ध्यान नहीं दिया |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) मनुष्य के संस्कारों एवं प्रभावों का परिमार्जन किससे होता है ?

(ब) “इन परिस्थितियों और संस्कारों में कुछ अनुकूल होते हैं और कुछ प्रतिकूल है|” यह किस प्रकार का वाक्य है? स्पष्ट कीजिये |

(स) ‘अनुभूति’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) मनुष्य में कुछ जन्मजात संस्कारों तथा प्रभावों का परिमार्जन शिक्षा से होता है |

(ब) यह संयुक्त वाक्य है| इसमें ‘और’ संयोजक अवव्य का प्रयोग किया गया है |

(स) अनुभूति- अनु, उपसर्ग- भूत शब्द- इ प्रत्यय |

(द) शीर्षक शिक्षा का महत्व |

Apathit Gadyansh for Class 7 with questions and answers pdf
 

अपठित गद्यांश 

नारी त्याग और तपस्या की अद्भुत विभूति है | इन्हीं दोनों तत्वों के समन्वय से हमारी भारतीय नारी का स्वरूप संगठित हुआ है | नारी जीवन का मूलमंत्र है- त्याग | और इस मंत्र को सिद्ध करने की क्षमता उसे प्रदान की है तपस्या ने | हम ठीक - ठीक नहीं कह सकते है, कि उसके जीवन के किस अंश में इन महनीय तत्वों के विकास का दर्शन हमें नहीं मिलना, परंतु यदि उसके पूर्व जीवन को ‘तपस्या’ का काल तथा उत्तर जीवन को ‘त्याग’ का काल माने तो कभी भी अनुचित न होगा | नारी के तीन रूप हमें दिखाई पड़ते हैं- कन्या रूप, भार्या रूप, तथा मातृ रूप कौमार काल नारी जीवन की सिद्धावस्था है | हमारी संस्कृति के उपासक संस्कृत कवियों ने नारी की तीन अवस्थाओं का चित्रण बड़ी सुंदरता के साथ किया है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) भारतीय नारी का व्यक्तित्व किन तत्वों से निर्मित होता है?

(ब) “हम ठीक - ठीक नहीं कह सकते हैं कि उसके जीवन के किस अंश में..............|” यह किस प्रकार का वाक्य है?

(स) 'महनीय' शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-  

(अ) भारतीय नारी का व्यक्तित्व त्याग और तपस्या - इन दोनों तत्वों से निर्मित होता है|

(ब) “हम ठीक - ठीक नहीं कह सकते हैं कि उसके जीवन के किस अंश में..............|” यह मिश्र वाक्य है |

(स) 'महनीय'- मह मूल शब्द और अनीय प्रत्यय

(द) शीर्षक- भारतीय नारी का जीवन |

Apathit Gadyansh for Class 7 with questions and answers
 

अपठित गद्यांश 

हमारे यहां शिक्षा तो वास्तव में ज्ञान के संप्रेषण की विधि है| विधि का अर्थ है- सिखलाना | लेकिन हम सिखलाएंगे क्या? इसके लिए हमारे यहां शब्द है- विद्या | विद्या को शिक्षा के माध्यम से प्रेषणीये करते हैं | विद्या वह ज्ञातव्य विषय है; जो हम आप तक पहुंचाना चाहते हैं | हमारे यहां मनीषियों ने इस विद्या को अर्थकरी और परमार्थकरी दो भागों में बांटा है | अर्थकरी वह विद्या है जो समाज में आपको उपयोगी बनाती है, जो आपको जीवन की आजीविका की सुविधा देती है और परमार्थकरी विद्या वह विद्या है जिससे आप समिष्टि से जुड़ते हैं | उसमें मानवीय मूल्य हैं, जिससे आपका हृदय बनता है, आपकी बुद्धि बनती है, आप उदार बनते हैं, स्नेहशील बनते हैं, सद्भाव एवं सम्पन्नता से पूर्व मानव बनते हैं, जिससे आपकी बुद्धि और हृदय का परिष्कार होता है |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) समाज के लिए कौन - सी विद्या अधिक उपयोगी रहती है |

(ब) “विद्या वह ज्ञातव्य विषय है, जो हम आप तक पहुंचाना चाहते है|” यह किस प्रकार का वाक्य है?

(स) ‘परमार्थकारी’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) समाज के लिए आजीविका देने वाले अर्थकरी विद्या अधिक उपयोगी रहती है |

(ब) ‘विद्या वह ज्ञातव्य विषय है, जो हम आप तक पहुंचाना चाहते है’ यह संयुक्त वाक्य है |

(स) परमार्थकरी- परम + अर्थकर मूल शब्द + ई प्रत्यय |

(द) शीर्षक- विद्या का महत्व||

Apathit Gadyansh with questions and answers for Class 7

अपठित गद्यांश 

देश की उन्नति का बहुत बड़ा दायित्व सच्चे देश-भक्तों पर निर्भर करता है | देश का गौरव सच्चे देश भक्त ही होते हैं | उसी देश का अभ्युत्थान हो सकता है, जहां के निवासियों में देश-प्रेम कूट-कूट कर भरा हो, जिसकी शिरा - शिरा धमनी - धमनी में देश - प्रेम से रक्त प्रवाहित हो रहा हो | जिस देश में ऐसे स्त्री - पुरुष का आधिक्य होता है, उसकी अवनति स्वप्न में भी नहीं हो सकती, जिस देश में जितने भी देश - भक्त सच्चे नागरिक होंगे, वह देश उतना ही समृद्धि के शिखर पर चढ़ सकता है | भारत की स्वतंत्रता के पीछे कौनसी शक्ति काम कर रही है? क्या अंग्रेजों ने प्रसन्न होकर स्वतंत्रता दान कर दी थी? कदापि नहीं | वास्तव में इस सफलता के पीछे बलिदान हो जाने वाले सैकड़ों देशभक्तों की शक्ति छिपी थी | उनके रक्त की लहरें परतंत्रता की चट्टान से बार-बार टकरा रही थी, जिससे वह 1 दिन चूर- चूर हो गई |

 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(अ) देश-भक्तों की क्या विशेषताएं होती है?

(ब) “क्या अंग्रेजों ने प्रसन्न होकर स्वतंत्रता दान कर दी थी?” इस वाक्य को निषेधार्थक में बदलिए |

(स) ‘स्वतंत्रता’ शब्दों में मूल शब्द एवं उपसर्ग बताइए |

(द) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए |

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(अ) देश - प्रेम की खातिर त्याग - बलिदान के लिए उद्धत रहना तथा देश के अभ्युदय में तत्पर रहना सच्चे देशभक्त की विशेषताएं होती है|

(ब) अंग्रेजों ने प्रसन्न होकर स्वतंत्रता दान नहीं कर दी थी|

(स) स्वतंत्रता- स्व उपसर्ग + तंत्र मूल शब्द |

(द) शीर्षक- देशभक्तों की महिमा|||

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